नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति को लेकर इस समय पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है. कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर की तरफ से इस नीति पर कई तरह के सवाल खड़े किए गए हैं. शशि थरूर का कहना है कि अब चुनौती होगी जो बातें कही गई हैं उन्हें पूरा किया जाए, क्योंकि कई बार वित्त मंत्रालय की तरफ से बजट को लेकर असमर्थता जाहिर की जा चुकी है. शशि थरूर के अनुसार, नई नीति में बहुत बातें अच्छी है, मगर कुछ विषय ऐसे हैं जो चिंता बढ़ाते हैं.
शशि थरूर की तरफ से इससे पहले भी ट्वीट करते हुए शिक्षा नीति का स्वागत किया गया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि इसमें कुछ सुझाव माने गए हैं जो बहुत अच्छे हैं. किन्तु सवाल है कि इसे चर्चा के लिए पहले संसद में क्यों नहीं लाया गया. शशि थरूर ने लिखा कि मुझे खुशी है कि सरकार ने शिक्षा नीति बदलने का निर्णय लिया, इसका इंतजार था. किन्तु अभी भी सवाल है कि GDP का 6 फीसदी बजट रखने का जो लक्ष्य है, वो कैसे पूरा होगा. क्योंकि वित्त मंत्रालय ने निरंतर शिक्षा मंत्रालय का बजट कम किया है.
शशि थरूर के अनुसार, नई नीति में कुछ ऐसे लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जो वास्तविकता से परे लगते हैं। ऐसे में सरकार को उन लक्ष्यों को सामने रखना चाहिए जो समय पर पूरे हो सकें. आज हम एक लाख में से महज 15 रिसर्चर बना पा रहे हैं, जबकि चीन इतनी ही तादाद में 111 रिसर्चर्स बना रहा है. कांग्रेस नेता ने शिक्षा नीति को सही ठहराते हुए कहा कि असली चुनौती होगी कि आप निजी क्षेत्र में किस तरह फीस की बढ़ोतरी को रोकते हैं, ताकि गरीब भी पढ़ाई कर सके.
'बिहार तुम "दह" जाओ, तुम "बह" जाओ, तुम "मर" जाओ, हमें बस सोने दो..'
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