कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में कांग्रेस नेता विजय दर्डा दोषी करार, मनमोहन सरकार के दौरान हुआ था बड़ा हेरफेर !

कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में कांग्रेस नेता विजय दर्डा दोषी करार, मनमोहन सरकार के दौरान हुआ था बड़ा हेरफेर !
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नई दिल्ली: दिल्ली की एक कोर्ट ने गुरुवार (13 जुलाई) को छत्तीसगढ़ में कोयला ब्लॉक आवंटन में घोटाले से जुड़े CBI मामले में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा और पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता समेत पांच अन्य आरोपियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने आरोपियों को IPC की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और धारा 420 (धोखाधड़ी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी पाया है। सजा पर बहस 18 जुलाई को अगली सुनवाई में होगी।

रिपोर्ट के अनुसार, स्पेशल जस्टिस संजय बंसल ने कांग्रेस नेता विजय दर्डा के बेटे देवेंदर दर्डा, वरिष्ठ लोक सेवक केएस क्रोफा और केसी सामरिया, जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और इसके डायरेक्टर मनोज कुमार जयसवाल को भी कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में दोषी ठहराया। हालाँकि, पहले केंद्र में कांग्रेस सरकार रहने के दौरान CBI ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, मगर वर्ष 2014 में कोर्ट ने इसे स्वीकार करने से इनकार करते हुए नए सिरे से जांच के निर्देश दिए थे।

कोर्ट ने कहा कि लोकमत समूह के प्रमुख विजय दर्डा ने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह, जिनके पास कोयला विभाग भी था, को लिखे पत्रों में तथ्यों को “गलत तरीके से प्रस्तुत” किया था। इसमें कहा गया कि दर्डा ने JLD यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के लिए छत्तीसगढ़ में फतेहपुर (पूर्व) कोयला ब्लॉक को सुरक्षित करने के लिए यह सब किया था। जिसके बाद 35वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने जेएलडी यवतमाल एनर्जी को कोयला ब्लॉक आवंटित कर दिया था। 

CBI ने अपनी FIR में दावा किया था कि JLD यवतमाल एनर्जी ने 1999-2005 में अपने समूह की कंपनियों को 4 कोयला ब्लॉकों के पिछले आवंटन को गलत तरीके से छुपाया था। मगर, CBI ने बाद में इस मामले को लेकर एक क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी थी। उसमें कहा गया कि कोयला ब्लॉक आवंटन में कोयला मंत्रालय (मनमोहन सरकार) द्वारा JLD यवतमाल एनर्जी को कोई अनुचित लाभ नहीं पहुंचाया गया। CBI ने कहा था कि कोयला मंत्रालय के अधिकारियों और JLD यवतमाल एनर्जी के निदेशकों के बीच धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश को स्थापित करने के लिए कुछ भी ठोस प्रमाण सामने नहीं आए हैं। हालाँकि, फिर नए सिरे से जांच हुई और तमाम धोखाधड़ी सामने आ गई। 

बता दें कि, गुरुवार की सजा कोयला घोटाले में 13वीं सजा है। इस मामले ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को हिलाकर रख दिया था। वर्ष 2012 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने 2004 से 2009 के बीच गैर-पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और प्राइवेट कंपनियों को 194 कोयला ब्लॉकों के कथित अकुशल आवंटन के लिए सरकार की निंदा की थी। CAG ने शुरू में सरकारी खजाने को 10.6 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान जाहिर किया था, मगर संसद में पेश की गई उसकी अंतिम रिपोर्ट में यह आंकड़ा 1.86 लाख करोड़ रुपये बताया गया था।

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