रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के विधायकों ने मंत्री कवासी लखमा के नेतृत्व में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचन्दन से भेंट की है। तत्पश्चात, छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई है। छत्तीसगढ़ में जबसे उच्च न्यायालय ने 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए 2012 की मौजूदा बीजेपी सरकार की पिटीशन खारिज की है तबसे यह मामला राज्य की राजनीति के लिए चर्चा का विषय बन गया है। आरक्षण रद्द होने के पश्चात् राज्य भर में आंदोलन, धरना देखे गए थे। आनन फानन में भूपेश बघेल की सरकार ने 1 और 2 दिसंबर 2022 को विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पारित कराकर राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भेजा था। तत्पश्चात, से मामला अभी भी अटका हुआ है।
आरक्षण बिल पर ना तो अभी तक राज्यपाल के हस्ताक्षर हो सके हैं ना ही आरक्षण पर राजनीति समाप्त हो रही है। छत्तीसगढ़ की पूर्व राज्यपाल अनुसुइया उइके के समय से लंबित मामले में अब राज्य के नए राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को फैसला लेना है। 76 प्रतिशत आरक्षण लागू कराए जाने की उम्मीद से कांग्रेस के विधायकों ने मंत्री कवासी लखमा के नेतृत्व में राज्यपाल से मुलाकात की।
कवासी लकमा ने कहा कि राज्यपाल से मुलाकात हुई है। मगर आरक्षण विधेयक पर सिग्नेचर करने की उम्मीद कम लग रही है। इस पूरी घटना पर राज्यपाल के ऊपर दिल्ली की केंद्र सरकार से दबाव बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार आदिवासियों के अधिकारों का हनन करना चाहती है। बीजेपी की नजर में आदिवासियों का कहीं सम्मान नही है। छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है। इसके अतिरिक्त OBC वर्ग की संख्या राज्य में दूसरे स्थान पर है। यही वजह है कि 90 विधानसभा वाले इस प्रदेश में आरक्षण राजनीति का सबसे मजबूत मुद्दा है।
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