नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के राज्यसभा में दिए गए भाषण के एक हिस्से को तोड़-मरोड़कर पेश करते हुए कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों पर सरकार को बदनाम करने का आरोप लगा है। यह मामला राजनीतिक बहस का नया केंद्र बन गया है। अमित शाह ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के नाम पर कांग्रेस द्वारा की जा रही राजनीति पर सवाल उठाए, जिसे विपक्ष ने अलग संदर्भ में प्रस्तुत करके भाजपा और अमित शाह की छवि खराब करने का प्रयास किया।
अमित शाह का पूरा भाषण
मंगलवार, 17 दिसंबर 2024 को राज्यसभा में संविधान पर हुई बहस के चलते केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने 90 मिनट लंबे भाषण में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एवं उनके साथ कांग्रेस के व्यवहार पर विस्तार से चर्चा की। अमित शाह ने कहा कि अंबेडकर के योगदान को भुलाकर कांग्रेस ने उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व, विशेष रूप से पंडित जवाहरलाल नेहरू की भूमिका पर सवाल खड़े किए।
अपने भाषण में अमित शाह ने कहा: “अभी यह फैशन चल गया है- अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर... इतना नाम अगर भगवान का लेते, तो सात जन्मों का स्वर्ग मिल जाता। हमें आनंद है कि ये अंबेडकर का नाम लेते हैं, लेकिन अंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है, ये मैं बताता हूँ।” अमित शाह ने आगे कहा कि “अंबेडकर जी ने देश की पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दे दिया? अंबेडकर जी ने कई बार कहा कि अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के साथ हुए व्यवहार से मैं असंतुष्ट हूँ। सरकार की विदेश नीति से मैं असहमत हूँ और आर्टिकल 370 से मैं असहमत हूँ। इसलिए वे छोड़ना चाहते थे। उन्हें आश्वासन दिया गया, किन्तु वो पूरा नहीं हुआ और नजरअंदाज किए जाने की वजह से इस्तीफा दे दिया।”
उन्होंने बीसी रॉय और नेहरू के बीच हुए पत्राचार का उल्लेख करते हुए कहा: “जब बीसी रॉय ने लिखा कि अगर अंबेडकर और राजाजी मंत्रिमंडल छोड़ देंगे, तो क्या होगा? इस पर नेहरू ने जवाब दिया- राजाजी के जाने से थोड़ा-बहुत नुकसान होगा, लेकिन अंबेडकर के जाने से मंत्रिमंडल कमजोर नहीं होगा।” अमित शाह ने आगे कहा कि कांग्रेस जिसका विरोध करती रही है, उसका वोट के लिए नाम लेना कितना उचित है। अंबेडकर जी मानने वाले पर्याप्त संख्या में आ गए हैं, इसलिए आप अंबेडकर अंबेडकर कर रहे हो।”
विपक्ष का हमला और फेक न्यूज़ का फैलाव
अमित शाह के इस भाषण के एक हिस्से को कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर साझा किया। कांग्रेस ने अपने पोस्ट में लिखा: “‘अभी एक फैशन हो गया है- अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर... इतना नाम अगर भगवान का लेते, तो सात जन्मों का स्वर्ग मिल जाता।’ अमित शाह ने बेहद घृणित बात की है।”
"अभी एक फैशन हो गया है- अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर..
— Congress (@INCIndia) December 17, 2024
इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता."
अमित शाह ने बेहद घृणित बात की है.
इस बात से जाहिर होता है कि BJP और RSS के नेताओं के मन में बाबा साहेब अंबेडकर जी को लेकर बहुत नफरत है.
नफरत… pic.twitter.com/zXkefmGkLI
कांग्रेस ने बीजेपी और RSS पर अंबेडकर के प्रति नफरत रखने का आरोप लगाया तथा दावा किया कि भाजपा नेताओं के पूर्वज अंबेडकर के पुतले जलाते थे। कांग्रेस नेताओं ने भाजपा और संघ पर संविधान बदलने के प्रयास का भी आरोप लगाया। जयराम रमेश, सुप्रिया श्रीनेत और कई अन्य नेताओं ने भी इस अधूरी क्लिप को शेयर करते हुए अमित शाह की आलोचना की। कांग्रेस ने अमित शाह से देश से माफी मांगने की मांग की।
बुद्धिजीवियों और पत्रकारों का रुख
कांग्रेस के अतिरिक्त, कुछ पत्रकार और बुद्धिजीवी भी इस विवाद में शामिल हुए। डॉ. लक्ष्मण यादव नामक बुद्धिजीवी ने ट्वीट किया: “अगर अमित शाह गोडसे, गोलवलकर, सावरकर से फुरसत पाते और अंबेडकर को पढ़ते, तो शायद ऐसा बयान न देते। अंबेडकर ने वंचितों, शोषितों और महिलाओं को नरक से बाहर निकालकर स्वर्ग दिया।” रणविजय सिंह, ममता त्रिपाठी एवं अन्य पत्रकारों ने भी अमित शाह के बयान के हिस्से को वायरल कर उनकी आलोचना की।
यह स्पष्ट है कि विपक्ष ने अमित शाह के पूरे भाषण का संदर्भ छिपाकर उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया। अमित शाह ने अपने भाषण में कांग्रेस के दोहरे चरित्र को उजागर करते हुए बताया कि कांग्रेस ने अंबेडकर के प्रति हमेशा अपमानजनक बर्ताव अपनाया। उन्होंने कांग्रेस की वोट बैंक राजनीति को लेकर भी सवाल उठाए।