दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस ने क़ाज़ी निजाम्मुद्दीन को बनाया प्रभारी, क्या ख़त्म होगा सूखा?

दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस ने क़ाज़ी निजाम्मुद्दीन को बनाया प्रभारी, क्या ख़त्म होगा सूखा?
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नई दिल्ली: दिल्ली में 2025 में संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने तैयारी शुरू कर दी है। आम आदमी पार्टी पहले ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। इस चुनौतीपूर्ण माहौल में कांग्रेस ने उत्तराखंड के मंगलौर से विधायक काज़ी निज़ामुद्दीन को दिल्ली चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया है। काज़ी निज़ामुद्दीन का राजनीतिक सफर काफी अनुभवों से भरा हुआ है। 

उन्होंने 2002 में पहली बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर मंगलौर सीट से चुनाव जीता था। 2007 में भी उन्होंने बसपा के टिकट पर यह सीट जीती। 2012 में वह कांग्रेस में शामिल हुए और इस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। हालांकि, 2017 में उन्होंने फिर से जीत दर्ज की। 2022 के चुनाव में उन्हें मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2024 के उपचुनाव में उन्होंने इस सीट पर फिर जीत हासिल की। 

कांग्रेस में उनके काम का दायरा सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं रहा। 2017 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में सचिव बनाया गया। 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में सह-प्रभारी के तौर पर उनकी रणनीति कारगर साबित हुई और कांग्रेस ने सरकार बनाई। हालांकि, इस साल महाराष्ट्र में सह-प्रभारी रहते हुए पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में उन्हें कश्मीर का राष्ट्रीय मीडिया कॉर्डिनेटर भी नियुक्त किया गया था। 

दिल्ली में कांग्रेस के लिए हालात काफी मुश्किल हैं। 2013 में शीला दीक्षित सरकार के जाने के बाद कांग्रेस ने लगातार दो विधानसभा चुनाव (2015 और 2020) में एक भी सीट नहीं जीती है। ऐसे में काज़ी निज़ामुद्दीन के अनुभव और रणनीतिक कौशल पर पार्टी ने भरोसा जताया है। काज़ी निज़ामुद्दीन ने बताया कि वह जल्द ही दिल्ली पहुंचकर अपनी टीम के साथ बैठक करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे। उनके साथ राजस्थान के पूर्व विधायक दानिश अबरार सह-प्रभारी के रूप में काम करेंगे। इसके अलावा, मीनाक्षी नटराजन, इमरान मसूद और प्रदीप नारवाल स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य बनाए गए हैं। 

काज़ी निज़ामुद्दीन के राजनीतिक करियर और परिवार का भी गहरा प्रभाव रहा है। उनके पिता मोहम्मद मोहिउद्दीन उत्तर प्रदेश की राजनीति के बड़े नेता रहे हैं। यूपी के अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से विधायक चुने जाने के साथ ही वह कई बार मंत्री भी रह चुके हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि काज़ी निज़ामुद्दीन कांग्रेस को दिल्ली में उसकी खोई हुई जमीन वापस दिला पाते हैं या नहीं।

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