मनीष सिसोदिया को जेल से छुड़वाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कांग्रेस सांसद, जानिए शराब घोटाले की एक-एक डिटेल

मनीष सिसोदिया को जेल से छुड़वाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कांग्रेस सांसद, जानिए शराब घोटाले की एक-एक डिटेल
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नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपित मनीष सिसोदिया को CBI ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था, जहाँ कोर्ट ने उन्हें 5 दिन की रिमांड में भेज दिया है। यानी अब CBI सिसोदिया से और सख्ती से पूछताछ करेगी। बता दें कि दिल्ली के आबकारी नीति को लेकर प्रदेश की केजरीवाल सरकार ने दावा किया था कि इससे राजस्व में 3500 करोड़ रुपए का फायदा होगा। हालाँकि, इस पूरे मामले की जाँच करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पाया है कि इस शराब घोटाले से प्रदेश के राजस्व में 2873 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।

वहीं, आज दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अपनी गिरफ़्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हालाँकि, ये भी दिलचस्प है कि, सियासी रूप से एक-दूसरे के विरोधी होने के बावजूद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वकील अभिषेक मनु सिंघवी, मनीष सिसोदिया को जेल से बाहर निकलवाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए याचिका दाखिल करने पर प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा आज दोपहर 3:50 बजे इस मामले की सुनवाई के लिए राजी हो गए हैं। हालाँकि, ये भी गौर करने वाली बात है कि, एक तरफ तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन शराब घोटाले को लेकर अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा मांग रहे हैं, वहीं, कांग्रेस के ही राज्यसभा सांसद सिंघवी, कोर्ट में मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले में बेगुनाह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सियासी पंडितों को भी ये समझ नहीं आ रहा है कि, कांग्रेस, AAP के साथ है या खिलाफ या फिर कांग्रेस दिखावे को तो AAP का विरोध कर रही है, लेकिन पिछले दरवाजे से पूरी मदद मुहैया करवा रही है। बहरहाल, आज 3:50 बजे सिसोदिया मामले पर सुनवाई होनी है, जिसके बाद ही ये स्पष्ट हो पाएगा कि वो जेल में ही रहेंगे या कांग्रेस नेता सिंघवी उन्हें जमानत दिलवा देंगे। 

क्या है दिल्ली का शराब घोटाला:-

बता दें कि, नवंबर 2021 में लागू की गई दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत राज्य में कुल 849 शराब की दुकानें खोली गईं थी। इस शराब नीति से पहले दिल्ली में 60 फीसद दुकानें सरकारी और 40 फीसद दुकानें प्राइवेट हुआ करती थीं। वहीं, घोटाले के लिए तैयार की गई आबकारी नीति में पूरी 100 फीसद दुकानें प्राइवेट कर दी गईं। इससे सरकार को राजस्व में सीधा नुकसान हुआ। इसके साथ ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने शराब बेचने के लिए मिलने वाले लाइसेंस का शुल्क कई गुना बढ़ा दिया था। जो L-1 लाइसेंस पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपए में मिलता था, उसे नई शराब नीति में 5 करोड़ रुपए का कर दिया गया। इसी प्रकार अन्य लाइसेंस की भी फीस कई गुना बढ़ा दी गई, जिससे छोटे ठेकेदार लाइसेंस नहीं ले सके और बड़े व्यपारियों को सीधा फायदा मिला। आरोप है कि, इन्ही बड़े कारोबारियों से आम आदमी पार्टी (AAP) नेताओं ने रिश्वत ली। 

इसके साथ ही डिप्टी सीएम और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के कहने पर आबकारी विभाग द्वारा L-1 बिडर को 30 करोड़ रुपए वापस लौटा दिए। हालाँकि, दिल्ली आबकारी नीति में किसी भी बिडर का पैसा करने का नियम नहीं है, मगर सिसोदिया के कहने पर यह भी किया गया। इस बीच कोरोना काल में शराब कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के नाम पर AAP सरकार ने लाइसेंस फीस में भारी छूट दी। सीधे शब्दों में कहें तो केजरीवाल सरकार ने कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी। बता दें कि, केजरीवाल  सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत प्रदेश को 32 जोन में विभाजित किया था। इसमें से 2 जोन के ठेके एक ऐसी कंपनी को प्रदान कर दिए गए, जो ब्लैक लिस्टेड थी। दिल्ली में पहले शराब ठेकेदारों को पहले 2.5 फीसद कमीशन मिलता था। वहीं नई आबकारी नीति के तहत इसे बढ़ाकर 12 फीसद कर दिया गया। इससे शराब ठेकेदारों को जमकर लाभ हुआ और सरकारी खजाने को नुकसान झेलना पड़ा।

यह भी आरोप है कि, उपराज्यपाल से अनुमति लिए बगैर ही दो बार आबकारी नीति को आगे बढ़ा दिया गया। साथ ही मनमाने तरीके से शराब कारोबारियों को छूट दी गई, जिसका शराब कंपनियों ने जमकर फायदा उठाया। यही नहीं, शराब विक्रेताओं को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से दिल्ली में ड्राई डे (Dry Day) की संख्या घटा दी गई। पहले यह संख्या पहले 21 हुआ करती थी, जिसे केजरीवाल सरकार ने अपनी नई शराब नीति के तहत महज 3 दिन कर दिया था। इसके अलावा केजरीवाल सरकार ने नियमों में ऐसे कई बदलाव किए, जिससे शराब व्यापारियों को फायदा हुआ और सरकारी खजाने को नुकसान। वहीं, आरोप है कि, शराब कारोबारियों को इसी तरह फायदा पहुँचाने के एवज में AAP नेताओं ने उनसे रिश्वत के रूप में करोड़ों रुपए लिए।

क्यों हुई मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी :-

वहीं, जब दिल्ली सरकार पर नई आबकारी नीति के जरिए घोटाले के आरोप लगे, तो सीएम केजरीवाल ने फ़ौरन यू टर्न लेते हुए शराब नीति वापस ले ली। इस पर भी काफी सवाल उठे कि यदि कोई घोटाला था ही नहीं, तो दिल्ली सरकार ने अपनी आबकारी नीति वापस क्यों ली ? अब डिप्टी सीएम और शराब नीति बनाने वाले आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर AAP जमकर हंगामा कर रही है। AAP इस कार्रवाई को सियासी प्रतिशोध बताते हुए कह रही है कि चार्जशीट में नाम न होने के बाद भी सिसोदिया को गिरफ्तार क्यों किया गया। बता दें कि, सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिनेश अरोड़ा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अरोड़ा सिसोदिया का खास था। लेकिन अब अरोड़ा सरकारी गवाह बन गया है और उसने ही सिसोदिया समेत कई अन्य आरोपितों के नाम लिए हैं।

इसके साथ ही सिसोदिया पर शराब घोटाले से जुड़े सबूत मिटाने के भी आरोप हैं। दरअसल, शराब घोटाले के आरोपितों ने 170 फोन बदले थे। इसमें डिप्टी सीएम सिसोदिया ने खुद भी 14 फोन बदले थे। जाँच एजेंसियों का कहना है कि इन फोन में ही सभी महत्वपूर्ण सबूत मौजूद थे। इसलिए सिसोदिया सहित अन्य आरोपितों ने या इन फोनों को बदल दिया या तोड़ दिया। अब CBI तमाम सबूत जुटाने के बाद सिसोदिया से पूछताछ कर रही है।

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