नई दिल्ली : देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी के हाल यह हो गए हैं कि वह अब भाजपा को शिकस्त देने के लिए केंद्र के अलावा राज्यों के क्षेत्रीय दलों से भी गठबंधन करने के मूड में आ गई है.इसीलिए कांग्रेस मिशन 2019 के तहत सभी क्षेत्रीय दलों के संपर्क में है
कैराना उप चुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस ने सभी क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर बीजेपी को हराने के लिए काम करेगी कैराना-नूरपुर उप चुनाव में जीत से खुश हुई कांग्रेस सपा, बसपा, रालोद के उसी गठजोड़ को वर्ष 2019 तक जारी रखना चाहती है.इस बारे में राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि यह गठबंधन अगले लोकसभा चुनाव तक जारी रहा तो यूपी की 80 सीटों में से बीजेपी 20 सीट ही जीत पाएगी .जो अभी 71 सीटों पर काबिज है.कांग्रेस तो पश्चिम बंगाल में टीएमसी से भी गठबंधन करना चाहती है लेकिन सीटों का बंटवारा आड़े आ रहा है . वैसे विकल्प के रूप में सीपीआई /सीपीएम से भी चर्चा जारी है .
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने गठबंधन की राजनीति करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वर्ष 2014 के चुनावों में सबसे खराब प्रदर्शन रहा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की कुल 177 लोक सभा सीटों में से कांग्रेस को केवल आठ सीटें ही मिली थी. जबकि झारखंड में तो कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी . बिहार और उत्तर प्रदेश से दो-दो और पश्चिम बंगाल से चार सीटें जीती थीं. इन्ही कारणों से कांग्रेस को गठबंधन की राजनीति करने की राह पर चलने को मजबूर होना पड़ रहा है.
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