लखनऊः देश का सबसे अहम राजनीतिक सूबा उत्तर प्रदेश जहां कांग्रेस दशकों से सत्ता से बाहर है। कई कोशिशों के बावजूद भी कांग्रेस वहां अपना जनाधार नहीं बढ़ा सकी। गत लोकसभा चुनाव में मिली काररी हार के बाद कांग्रेस ने यूपी में पार्टी का चेहरा बदल दिया है। सिने स्टार से नेता बने प्रदेशाध्यक्ष राज बब्बर को हटाकर जमीनी ओबीसी नेता अजय कुमार लल्लू को राज्य की कमान सौंपी गई है। साथ ही प्रदेश की टीम में खांटी कांग्रेसियों का मोह छोड़ते हुए नए या दूसरे दलों से आए 'उपयोगी' कार्यकर्ताओं को जगह दी गई है।
पिछड़ों को भरपूर प्रेम के साथ ही जातीय संतुलन के साथ कांग्रेस ने उम्मीदों की डगर पर कदम रखा है। उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव पर नजर जमाए कांग्रेस ने लंबे समय तक चले विचार-मंथन के बाद 'टीम यूपी' तैयार की है। प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी, पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह सहित कुछ और नाम भी चल रहे थे, लेकिन कुछ समय से राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा के भरोसेमंदों में शामिल कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू सबसे अधिक चर्चा में थे। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी आखिरकार लल्लू पर ही भरोसा जताया। लल्लू पिछड़ी जाति से हैं।
उप्र कांग्रेस कमेटी में जातीय समावेशी फार्मूले को खास तौर पर साधा गया है। कमेटी में सवर्ण, पिछड़े, दलित और मुस्लिमों की संतुलित भागीदारी रखी गई है। 12 महासचिवों की टीम इसकी साफ तस्वीर दिखाती है। केवल निष्ठावान कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां सौंपती रही कांग्रेस ने इस बार सोच बदली है। युवाओं के साथ-साथ पार्टी ने उन कार्यकर्ताओं को संगठन का जिम्मा थमाया है, जो दूसरे दलों से आए हैं। चार उपाध्यक्षों में वीरेंद्र चौधरी बसपा से आए तो दीपक कुमार सपा में मंत्री रहे हैं। महासचिवों में राकेश सचान सपा छोड़कर आए हैं तो सपा से आईं कैसर जहां अंसारी व शाहनवाज आलम को सचिव बनाया गया है। बता दें कि इस कमेटी गठन में प्रियंका गांधी की अहम भूमिका मानी जा रही है। प्रियंका गांधी इन दिनों यूपी में काफी सक्रिय हैं।
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