नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को मोदी सरकार की तीखी आलोचना की और आरोप लगाया कि वह महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है। खड़गे ने इस बात पर जोर दिया कि केवल "बेटी बचाओ" पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय महिलाओं के लिए समान अधिकारों की गारंटी देने की सख्त जरूरत है। अपने बयान में खड़गे ने सवाल उठाया कि क्या जस्टिस वर्मा समिति की सिफ़ारिशों और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम के प्रावधानों को पूरी तरह से लागू किया गया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "हमारी महिलाओं के साथ किया गया कोई भी अन्याय असहनीय, दर्दनाक और अत्यधिक निंदनीय है। हमें सिर्फ़ 'बेटी बचाओ' नहीं बल्कि 'अपनी बेटियों के लिए समान अधिकार' सुनिश्चित करने की ज़रूरत है। महिलाओं को सुरक्षा की ज़रूरत नहीं है; उन्हें सुरक्षा की ज़रूरत है। देश में हर घंटे महिलाओं के ख़िलाफ़ 43 अपराध दर्ज किए जाते हैं। हर दिन सबसे कमज़ोर दलित-आदिवासी समुदायों की महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ 22 अपराध दर्ज किए जाते हैं। डर, धमकी और सामाजिक कारणों से अनगिनत अपराध दर्ज नहीं किए जाते हैं।" खड़गे ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए गंभीर सुधारों का आह्वान किया। उन्होंने "लिंग संवेदीकरण पाठ्यक्रम", "लिंग बजट" और स्ट्रीट लाइट तथा सार्वजनिक महिला शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं जैसे उपायों की वकालत की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संविधान महिलाओं को समान दर्जा तो देता है, लेकिन उनके खिलाफ अपराध एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है जिसके लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार प्रभावी और निवारक उपायों के अभाव में काम नहीं कर रही है। उन्होंने तर्क दिया कि दीवारों पर "बेटी बचाओ" के नारे लिखने जैसे सतही प्रयासों से सार्थक सामाजिक बदलाव नहीं आएगा। खड़गे ने सवाल किया, "प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से अपने भाषणों में महिलाओं की सुरक्षा के बारे में बात की है, लेकिन उनकी सरकार ने पिछले एक दशक में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए हैं। इसके बजाय, उनकी पार्टी ने पीड़ितों के चरित्र की शर्मनाक तरीके से हत्या की है। क्या ऐसे सतही उपायों से वास्तविक सामाजिक बदलाव आएगा या हमारी कानूनी व्यवस्था की दक्षता में सुधार आएगा?" खड़गे ने आगे आरोप लगाया कि सरकार और प्रशासन ने पीड़ितों का जबरन अंतिम संस्कार करके अपराधों को छिपाने की कोशिश की है। उन्होंने पूछा, "क्या सरकार और प्रशासन ने अपराधों को छिपाने की कोशिश की है? क्या पुलिस ने सच्चाई को दबाने के लिए पीड़ितों के अंतिम संस्कार को रोका है?"
दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया कांड पर विचार करते हुए खड़गे ने सवाल उठाया कि क्या जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिशों और 2013 में पारित कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम के प्रावधानों को ठीक से लागू किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि क्या ये उपाय कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाने में कारगर साबित हो रहे हैं। खड़गे की टिप्पणी 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर की हत्या और कथित यौन उत्पीड़न की घटना से उपजे राष्ट्रीय आक्रोश और अनेक रैलियों के बाद आई है।
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