नई दिल्ली: दिल्ली में विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले ही राजनीतिक माहौल गर्म हो चुका है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच राजनीतिक संबंध अब पूरी तरह टूट चुके हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नई दिल्ली विधानसभा सीट से उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने मुख्यमंत्री आतिशी और AAP सांसद संजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ 10 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने का ऐलान किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "सीएम आतिशी ने मुझ पर यह आरोप लगाया है कि मुझे भारतीय जनता पार्टी (BJP) से सैकड़ों करोड़ रुपये मिले हैं। ये आरोप न सिर्फ बेबुनियाद हैं, बल्कि मेरे राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर लगाए गए हैं। मैं इन झूठे आरोपों के लिए 10 करोड़ रुपये की मांग करूंगा। इनमें से 5 करोड़ यमुना सफाई के लिए और 5 करोड़ दिल्ली के प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए दान करूंगा।"
संदीप दीक्षित ने AAP नेताओं पर पिछले 10 सालों में किए गए झूठे आरोपों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित सरकार पर भ्रष्टाचार के 360 पन्नों के तथाकथित सबूत दिखाए थे। जब बीजेपी के नेता उनसे मिले और इन सबूतों की मांग की, तो उन्होंने केवल अखबारों की कटिंग पेश की। यह दिखाता है कि उनके पास कोई ठोस आधार नहीं था। आज भी AAP सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की है।"
उन्होंने आगे कहा, "आपने इस देश में लोकपाल का नाम लेकर आंदोलन खड़ा किया। लेकिन दिल्ली में लोकायुक्त होते हुए भी आपने उनके पास कोई फाइल या सबूत नहीं भेजा। आखिर AAP किस ईमानदारी की बात करती है?"
हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब AAP नेताओं पर मानहानि के केस दायर हुए हों। अरविंद केजरीवाल ने पहले भी BJP नेताओं नितिन गडकरी और अरुण जेटली पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने AAP विधायकों को पैसे देकर पार्टी में शामिल करने की कोशिश की। इन आरोपों को लेकर गडकरी और जेटली ने मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसके बाद केजरीवाल को कोर्ट में लिखित माफी मांगनी पड़ी।
इसी तरह मनीष सिसोदिया ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर कोविड किट घोटाले का आरोप लगाया। जब सरमा ने कोर्ट में केस दायर किया और आरोप साबित करने की चुनौती दी, तो सिसोदिया ने अपनी बात से पीछे हटते हुए FIR रद्द करने की मांग की। ऐसे में ये मांग उठती है कि, राजनेताओं के बयानों पर जवाबदेही तय की जानी चाहिए। झूठे आरोप जनता को भ्रमित करते हैं। नेता बयान देकर पीछे हट जाते हैं, लेकिन इसका असर जनता पर पड़ता है। लोकतंत्र में इस तरह के बयान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करते हैं।
संदीप दीक्षित के इन तीखे बयानों और कानूनी कार्रवाई के ऐलान के बाद यह साफ हो गया है कि दिल्ली में कांग्रेस और AAP के बीच किसी भी तरह का गठबंधन अब संभव नहीं है। INDIA गठबंधन के तहत बनी यह साझेदारी अब पूरी तरह खत्म हो चुकी है। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ किस तरह की रणनीति अपनाती हैं।