कांग्रेस नेता वही बोलेंगे जो गांधी परिवार सुनना चाहेगा ? प्रमोद कृष्णन और मनीष तिवारी को पड़ी फटकार

कांग्रेस नेता वही बोलेंगे जो गांधी परिवार सुनना चाहेगा ? प्रमोद कृष्णन और मनीष तिवारी को पड़ी फटकार
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नई दिल्ली: अग्निपथ योजना और उदयपुर के नृशंस हत्याकांड पर कांग्रेस नेताओं के बयानबाजी के बाद पार्टी को अपनी छवि की चिंता सताने लगी है। खबर है कि कांग्रेस जल्द ही सार्वजनिक रूप से दिए जाने वाले बयानों को लेकर एडवाइजरी जारी करने वाली है। कांग्रेस की ओर से यह फैसला ऐसे वक़्त में लिया गया है, जब हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री नेता मनीष तिवारी और आचार्य प्रमोद कृष्णम को अपने लेख और बयान के कारण पार्टी हाईकमान की फटकार सुननी पड़ी थी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी की टास्क फोर्स के एक सदस्य ने जानकारी दी है कि अहम मुद्दों को लेकर सार्वजनिक रूप से बयान देने से पहले सभी वरिष्ठ नेताओं को पार्टी के मत के बारे में जानकारी देने का फैसला लिया गया है।

क्या कहा था मनीष तिवारी ने ?

केंद्र सरकार द्वारा लाइ गई अग्निपथ योजना को लेकर तिवारी ने एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने योजना को रक्षा सुधारों और आधुनिक करने की बड़ी प्रक्रिया का हिस्सा करार दिया था। साथ ही उन्होंने इस योजना की प्रशंसा भी की थी। जबकि, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इस योजना के खिलाफ लगातार तीखे जुबानी तीर चला रहे हैं। तिवारी के लेख के बाद ऑल इंडिया कांग्रेस के संपर्क प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, 'कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अग्निपथ पर लेख लिखा है। कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है, ऐसे में यह कहना आवश्यक हो जाता है कि उनके विचार पूरी तरह व्यक्तिगत हैं और पार्टी के नहीं हैं, जो मजबूती से मानती है कि अग्निपथ रक्षा विरोधी और युवा विरोधी है, जिसे बिना चर्चा के लाया गया है।' हालांकि, इस ट्वीट पर तिवारी ने भी करारा पलटवार किया था।

आचार्य प्रमोद कृष्णन:-

उदयपुर में हिन्दू की निर्मम हत्या और महाराष्ट्र में जारी सियासी संग्राम को लेकर बयान देने पर आचार्य प्रमोद को भी कांग्रेस हाई कमान की फटकार सुननी पड़ी थी। उदयपुर मामले को लेकर रमेश ने लिखा कि, 'दूसरी बार लक्ष्मण रेखा पार करने से पहले एक बार तो सोचना चाहिए था आदरणीय प्रमोद त्यागी जी। जो आपने लिखा है वो वैसे भी तथ्यों से बहुत परे है।' बता दें कि, प्रमोद कृष्णन ने अपने ट्वीट में लिखा था कि, 'धमकी मिलने के बावजूद भी “कन्हैया” को सुरक्षा उपलब्ध क्यूँ नहीं करायी गयी, क़ातिलों के साथ साथ “पुलिस” प्रशासन भी बराबर का दोषी है,SSP DIG के ख़िलाफ़ अभी तक कार्यवाही क्यूँ नहीं की गयी, क्या “राजस्थान” में “सरकार” का इक़बाल बिलकुल ख़त्म हो गया है...???' 

ऐसे में सवाल यह उठता है कि, जिस कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, लोकतंत्र की दुहाई देते नहीं थकते, उनकी अपनी ही पार्टी में लोगों को बोलने की आज़ादी क्यों नहीं है ? क्या अब कांग्रेस नेता वही बोलेंगे जो गांधी परिवार सुनना चाहेगा ?  

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