अमेठी: कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के परिवार का किला रहे अमेठी लोकसभा सीट में उनकी हार के कारणों का पता लगाने वाली कांग्रेस की दो सदस्यीय समिति को बताया गया कि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का सहयोग का नहीं मिलना उनकी हार का मुख्य कारण है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली में उनके प्रतिनिधि कांग्रेस सचिव जुबेर खान और के. एल. शर्मा को साफ़ तौर पर बताया गया कि सपा और बसपा की अमेठी इकाइयों ने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया और उनके एक बड़े वर्ग का वोट भाजपा के खाते चला गया.
एक स्थानीय नेता ने जानकारी देते हुए बताया है कि, "सरल गणित है. राहुल गांधी को 2014 के लोकसभा चुनाव (4.08 लाख वोट) से अधिक वोट 2019 (4.13 लाख वोट) मिले थे. बसपा उम्मीदवार को 2014 में 75,716 वोट प्राप्त हुए थे. अगर यह वोट कांग्रेस को मिले होते तो कांग्रेस की जीत हुई होती. भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55,000 मतों के अंतर से मात दी."
अमेठी के जिला कांग्रेस अध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा ने भी इस आरोप का समर्थन करते हुए कहा कि सपा और बसपा ने कांग्रेस के साथ सहयोग नहीं किया, जबकि उनके नेताओं ने राहुल का समर्थन करने की घोषणा की थी. योगेंद्र मिश्रा ने कहा है कि, "सपा के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के पुत्र अनिल प्रजापति खुलेआम स्मृति ईरानी के समर्थन में वोट मांग रहे थे. गौरीगंज से सपा MLA राकेश सिंह अपने ब्लॉक प्रमुखों और जिला पंचायत सदस्यों को बचाए रखने के लिए भाजपा के साथ चले गए."
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