'कम से कम 300 दिन तो काम करें अदालतें..', न्याय व्यवस्था के खिलाफ भाजपा को मिला कांग्रेस का साथ !

'कम से कम 300 दिन तो काम करें अदालतें..', न्याय व्यवस्था के खिलाफ भाजपा को मिला कांग्रेस का साथ !
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इंदौर: मध्य प्रदेश से वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा एक मामले में भाजपा से सहमत नज़र आ रहे हैं। दरअसल, हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने न्यायपालिका को लेकर जो बात कही थी, कांग्रेस सांसद ने भी वैसा ही कुछ कहा है। विवेक तन्खा ने शुक्रवार (16 दिसंबर) को कहा है कि लंबित मामलों को कम करने के लिए अदालतों को साल में कम से कम 300 दिन तो कार्य करना चाहिए। कांग्रेस सांसद ने कहा कि जज छुट्टी पर जा सकते हैं, मगर अदालतें नहीं और तभी 5 करोड़ लंबित मामलों का निपटारा हो सकता है। 

उल्लेखनीय है कि, कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बीते दिन न्यायालयों में लंबित पड़े मामलों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय को नसीहत दी थी। कानून मंत्री का कहना था कि सरकार, न्यायालय के कामों में दखल नहीं देना चाहती, मगर 5 करोड़ मामले देश की विभिन्न अदालतों में पेडिंग पड़े हुए हैं। सरकार की चिंता उन लंबित मामलों को लेकर है और जनता को इंसाफ दिलाने को लेकर है। कानून मंत्री ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के साथ दूसरे उच्च न्यायालयों में भी जो जजों के पद खाली हैं, वो चिंता में डालने वाली बात है। सरकार के पास अच्छे न्यायमूर्तियों की सिफारिशें नहीं आतीं। हालांकि, कानून मंत्री के बयान पर प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने दो टूक जवाब देते हुए कहा था कि, सर्दियों की छुट्टी में सुप्रीम कोर्ट काम नहीं करने वाली है। CJI ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में 19 दिसंबर से सर्दी की छुट्टियां (Winter Vacation) शुरू होंगी, जो 1 जनवरी, 2023 तक चलेगी। उसके बाद 2 जनवरी से काम फिर से शुरू होगा। इससे पहले संसद में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अदालतों से छुट्टियां कम करने और काम करने का समय बढ़ाने का आग्रह किया था, ताकि पेंडिंग मामलों को निपटाया जा सके और  जनता को इंसाफ मिले।   

अब केंद्रीय कानून मंत्री को अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, लेकिन कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा का समर्थन मिला है। कांग्रेस सांसद ने प्रेस वालों से कहा कि, जज छुट्टी पर जा सकते हैं, किन्तु अदालतें नहीं। उन्हें साल में कम से कम 300 दिन काम करना चाहिए। इसके बाद ही अदालतों में लंबित पांच करोड़ मामलों का निस्तारण होगा। ऐसा नहीं होना चाहिए कि पूरी अदालत अवकाश पर चली जाए। उन्होंने कहा, ब्रिटिश काल में यह प्रथा थी कि जब जज घर (ब्रिटेन) वापस जाते थे, तो उन्होंने स्कूलों की तरह अदालतों के लिए दो महीने की छुट्टी घोषित कर दी। यदि अदालतें खुली रहती हैं तो लंबित मामलों का निपटारा तेजी से होगा। कांग्रेस सांसद ने कहा कि वर्तमान में अदालतें 200 दिन (प्रतिवर्ष) खुलती हैं। अगर कोई सुधार होता है, तो वे कम से 300 दिन कार्यशील रहेंगी।  

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