नई दिल्ली: जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक को संचालित करने वाले ट्रस्ट को गैर राजनीतिक बनाने के लिए एक प्रस्ताव पर सरकार ने गुरुवार को मुहर लगा दी। जानकारी के अनुसार बता दें कि अब कांग्रेस नेता की जगह लोकसभा के नेता विपक्ष या सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता इसके सदस्य होंगे। वहीं बता दें कि इसके लिए जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951 में संशोधन करना होगा। 11 दिसंबर से शुरू होने जा रहे शीतकालीन सत्र में सरकार यह संशोधन प्रस्ताव ला सकती है।
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यहां हम आपको बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट द्वारा लिए गए इस निर्णय की गुरुवार को जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक शायद एकमात्र ऐसा ट्रस्ट था, जिसमें सदस्य सिर्फ एक पार्टी से होता था। केवल एक ही राजनीतिक दल का इसमें प्रतिनिधित्व गलत था। वहीं एक आधिकारिक बयान में जेटली ने बताया कि इस निर्णय का उद्देश्य जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951 में उपयुक्त संशोधन करना है।
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वहीं बता दें कि इसके जरिये ट्रस्टी के रूप में लोकसभा में नेता विपक्ष अथवा विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता को शामिल करना है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पार्टी आधारित सदस्यता खत्म होने से ट्रस्ट गैर राजनीतिक हो जाएगा। साथ ही संशोधन ट्रस्ट में विपक्षी पार्टियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगा। इससे सरकार के हाथों में वह शक्ति आ जाएगी, जिससे वह किसी सदस्य को ट्रस्ट से बाहर निकाल सकेगी और उसके स्थान पर दूसरे को रख सकेगी।
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