दिलीप सिंह की रिपोर्ट
रतलाम। मध्य प्रदेश के रतलाम संसदीय सीट से इस बार कांग्रेस पहली मर्तबा नया चेहरा देने के मूड में दिख रही है। जिसके चलते इस सीट पर उम्मीदवार की घोषणा में देरी हो रही है, सूत्रों की माने तो इस संसदीय सीट के इतिहास में पहली मर्तबा रतलाम क्षेत्र से कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतार सकती है, 1952 से लगाकर 2014 तक कांग्रेस ने हमेशा झाबुआ क्षेत्र से अपना उम्मीदवार दिया है, लेकिन पहली मर्तबा कांग्रेस इस संसदीय सीट से रतलाम क्षेत्र से उम्मीदवार खडा कर सकती है और इसके लिये कहा जा रहा है कि अबकी बार पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया के स्थान पर सैलाना क्षेत्र से पूर्व विधायक हर्ष गेहलोत को मैदान में उतार सकती है।
कांग्रेस के द्वारा इस संसदीय सीट पर उम्मीदवार के रूप में पहले पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया का नाम फाइनल हो गया था लेकिन जब प्रदेश की 10 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किये गये तो रतलाम सीट को होल्ड पर रख दिया गया। उसके बाद से यहां से नया चेहरा देने की कवायदे प्रारंभ हो गई जिसके चलते चुनाव घोषित होने के बाद भी अभी तक इस सीट से कांग्रेस अपना उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है। जिसके चलते कांग्रेस चुनाव प्रचार में यहां पर भाजपा के मुकाबले पिछडती नजर आ रही है, वहीं झाबुआ, आलिराजुपर आदिवासी क्षेत्र में इन दिनों भगौरिया हाटों की धूम प्रारंभ हो गई है जोकि चुनाव प्रचार का महत्वपूर्ण माध्यम होते है लेकिन कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित नहीं होने से उसे इन भगौरिया हाटों का लाभ भी अपने चुनावी प्रचार के लिये नहीं मिल पा रहा है।
जब तक कांतिलाल भूरिया का नाम उम्मीदवार के रूप में चल रहा था तब तक कांतिलाल भूरिया के द्वारा चुनाव प्रचार की रूप रेखा बनाकर प्रचार के लिये कमर कसी जा रही थी लेकिन जैसे ही उनके नाम पर संशय बना वैसे ही क्षेत्र में कांग्रेस की चुनावी रणनिति थम सी गई है। वर्तमान में कांग्रेस का नाम लेने वाला कोई भी पदाधिकारी या कार्यकर्ता किसी भी क्षेत्र में दिखाई नहीं पड रहा है, भगौरिया हाट बाजारों से भी कांग्रेस की गैरे नदारत दिखाई दे रही है वहीं भाजपा पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर गई है। भाजपा उम्मीदवार श्रीमति अनिता नागर सिंह चौहान ने आलिराजपुर से लगाकर सैलाना क्षेत्र तक आठों विधानसभा सीटों पर जनसंपर्क प्रारंभ कर अपना भ्रमण प्रारंभ कर दिया है वहीं कांग्रेस के लिये अभी तक मैदान में कोई भी चुनाव प्रचार की कमान थामने वाला दिखाई नहीं पड रहा हैं जिसके चलते कांग्रेस जितना देरी से उम्मीदवार उतारेगी उसके उम्मीदवार को संसदीय क्षेत्र में हर गांव व हर मतदाता तक पहूंचने में दिक्कतें आयेगी वहीं कार्यकर्ताओं की कमी के चलते उसका प्रचार भी ढिला ही रहेगा।
रतलाम-झाबुआ-आलिराजपुर संसदीय सीट एक समय में कांग्रेस का गढ हुआ करती थी, वर्तमान विधानसभा चुनावों में भी आठ सीटों में से कांग्रेस ने तीन सीटें और एक निर्दलियी ने जीत कर इस सीट पर कांग्रेस व भाजपा के बीच कांटे की टक्कर की स्थिति रखी है लेकिन संसदीय चुनाव में कांग्रेस के द्वारा उम्मीदवार की देरी से अब इस सीट पर कांग्रेस को अपने प्रचार अभियान व चुनाव जितने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड सकता है। वहीं झाबुआ से बहार का उम्मीदवार देना भी कांग्रेस को भारी पड सकता है। फिलहाल तो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं को अपने उम्मीदवार का इंतजार ही करना है।
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