नई दिल्ली : शीर्षक देखकर आप सोच रहे होंगे कि यह अच्छा मजाक है, जब कांग्रेस हर राज्य में हार रही है तो फिर उसकी जीत का ग्राफ कैसे बढ़ सकता है.लेकिन डाडा ड्रिवन वेबसाइट इंडिया स्पेंड के अनुसार कांग्रेस की जीत का ग्राफ बढ़ा है . यह कैसे हुआ इसे इस तरह समझा जा सकता है.
यदि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे को देखें तो पंजाब की जीत को छोड़कर यूपी, उत्तराखंड में हारने, वहीं मणिपुर , गोवा में सबसे बड़ा दल होने के बावजूद वो सरकार नहीं बना सकने के बाद कहा जाने लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार होता जा रहा है. लेकिन इन्हीं नतीजों को एक अलग नजरिये से देखें तो तस्वीर का उजला पक्ष सामने आ रहा है.
दरअसल 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद अगर गोवा और मणिपुर जैसे छोटे राज्यों को छोड़ दें तो तो 10 प्रदेशों महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव हुए हैं. इन राज्यों में कुल लोकसभा सीटों की 60 फीसदी सीटें यानी 543 में से 317 सीटें आती हैं.डाडा ड्रिवन वेबसाइट इंडिया स्पेंड के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 1544 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा (लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत) और इन 10 राज्यों में उसे 194 पर ही जीत सकी यानी उसकी सफलता का प्रतिशत सिर्फ 13 ही रहा.
जबकि लोकसभा चुनाव के बाद इन राज्यों में जब विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस ने 1032 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और इनमें से उसके 258 उम्मीदवार जीत भी गए, यानी उसकी सफलता का प्रतिशत 13 से बढ़कर 25 हो गया. न सिर्फ सीटों की संख्या ही दोगुनी हुई, बल्कि 2014 में इन राज्यों में जहां उसे 20 फीसदी वोट मिले तो विधानसभा चुनावों में 30 फीसदी वोट मिले . वोट शेयर में भी कांग्रेस ने बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पंजाब में लोकसभा चुनाव की तुलना में ज्यादा वोट मिले .
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