लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव को लेकर हाल ही में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। कांग्रेस पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में भाग नहीं लेगी। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस को दो सीटों पर भाजपा से हार का खतरा महसूस हो रहा था, जिसके कारण उसने इस निर्णय को लिया है। पार्टी की रणनीति अब इन दोनों सीटों को समाजवादी पार्टी (सपा) को वापस करने की है, तथा इसके लिए जल्द ही एक औपचारिक घोषणा की जाने की संभावना है।
कांग्रेस के इस फैसले के पीछे कई राजनीतिक कारण हैं। बीते कुछ वर्षों में सपा का जनाधार कांग्रेस की तुलना में बेहतर रहा है, जिससे यह स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी को जनता के बीच अधिक समर्थन प्राप्त है। इस स्थिति को देखते हुए, कांग्रेस ने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सपा को समर्थन देने का निर्णय लिया है। कांग्रेस पार्टी का मुख्य उद्देश्य इस बार भाजपा को हराना है, तथा इसके लिए वह पूरी ताकत से सपा का साथ देने को तैयार है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि सपा के साथ मिलकर चुनावी मुकाबले को और मजबूत किया जा सकता है। इससे न सिर्फ कांग्रेस को राजनीतिक लाभ होगा, बल्कि यह भाजपा को रोकने के लिए एक सामूहिक प्रयास भी होगा। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच इस सहयोग का चुनावी मैदान पर क्या असर होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। यदि कांग्रेस इस बार समाजवादी पार्टी को समर्थन देने में सफल होती है, तो यह उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पृष्ठभूमि में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होगा कि विपक्षी दल मिलकर भाजपा के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं या नहीं।
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