मुंबई: महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों के नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए निराशाजनक रहे। हरियाणा में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की, और महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला। कांग्रेस को उम्मीद थी कि दोनों राज्यों में उसकी या उसके सहयोगी गठबंधन की सरकार बन सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस हार के बाद कांग्रेस पार्टी में असंतोष और बेचैनी देखी जा रही है।
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस का एक धड़ा ईवीएम को हार के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। हालांकि, पार्टी का ही एक बड़ा वर्ग इस दावे से सहमत नहीं है। इसकी वजह पार्टी का आंतरिक सर्वे है, जिसने पहले ही यह संकेत दे दिया था कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2024 में हुए कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में 103 सीटों का विश्लेषण किया गया। इसमें सामने आया कि लोकसभा चुनाव में जो बढ़त एमवीए को मिली थी, उसे विधानसभा चुनाव में बरकरार रखना मुश्किल होगा। सर्वे के अनुसार, एमवीए केवल 44 सीटों पर आगे चल रहा था, जबकि महायुति 49 सीटों पर मजबूत स्थिति में थी।
इसके अलावा, अन्य वर्ग जैसे सामान्य, ओबीसी, एससी, और एसटी भी महायुति का समर्थन करते दिखे। केवल मुस्लिम मतदाताओं में एमवीए को बढ़त हासिल थी। कांग्रेस के इस सर्वे ने यह भी बताया कि "लड़की बहन योजना" ने महिलाओं के बीच महायुति को बड़ा फायदा पहुंचाया। यह योजना बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुरू की थी, जिसमें पहले 1,500 रुपये मासिक की सहायता दी जा रही थी, जिसे चुनाव से पहले बढ़ाकर 2,100 रुपये कर दिया गया। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने सुझाव दिया था कि एमवीए भी महिलाओं के लिए 3,000 रुपये मासिक देने का वादा करे, लेकिन तब तक महायुति इस मुद्दे पर बढ़त बना चुकी थी।
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस का ईवीएम पर दोष मढ़ना कई नेताओं को सिर्फ बहानेबाजी लग रहा है। पार्टी एक ही एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर मीडिया से कहा कि पार्टी पहले से ही जानती थी कि उनकी स्थिति कमजोर है और महायुति को महिलाओं और अन्य वर्गों में बड़ा समर्थन मिल रहा है। फिर भी, ईवीएम को दोष देना सिर्फ हार से ध्यान हटाने और खुद की गलतियों से बचने का प्रयास है।
कांग्रेस कार्यसमिति की आगामी बैठक में इन नतीजों की समीक्षा होगी और संभावना है कि ईवीएम को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। हालांकि, यह बात साफ है कि कांग्रेस के आंतरिक सर्वे ने पहले ही हार की भविष्यवाणी कर दी थी, फिर भी पार्टी अपनी रणनीतिक चूकों पर चर्चा करने के बजाय ईवीएम पर ठीकरा फोड़ रही है।
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