नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के कुख्यात "खटाखट कैश ट्रांसफर" नारे और देश के कई राज्यों में कांग्रेस कार्यालयों के बाहर कतार में गारंटी कार्ड लेकर 1 लाख मांगने के लिए खड़ी महिलाओं के कई फोटो, वीडियो सामने आए हैं। इनमे से अधिकतर महिलाएं मुस्लिम समुदाय से हैं, जो गरीब हैं और जिन्होंने खटाखट एक लाख रुपए मिलने के नाम पर एकमुश्त कांग्रेस और उसके सहयोगियों को वोट दिया, क्योंकि कांग्रेस ने इन्हे बाकायदा गारंटी कार्ड दिया था और 5 जून से ही खटाखट पैसे ट्रांसफर का वादा किया था। हालाँकि, अब कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेता इन महिलाओं से बचते नज़र आ रहे हैं। इस खटखट योजना ने कांग्रेस के लिए दोहरी मुसीबत खड़ी कर दी है, एक तरफ तो महिलाएं उसके खिलाफ हो गईं हैं, वहीं, अब देश पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली पार्टी पर रिश्वतखोरी के भी आरोप लगे हैं। केंद्र में कई बार सत्ता चला चुकी कांग्रेस ने कभी अपने शासनकाल में इस तरह से पैसे नहीं बांटे, लेकिन 10 वर्षों तक सत्ता में बाहर रहने के बाद उसने वोटर्स को लुभाने के लिए खटाखट हर साल 1 लाख देने का वादा कर डाला। आपको याद दिला दें कि, आज अपने घोषणापत्र में गरीबों को 1 लाख देने का वादा करने वाली कांग्रेस ने अपने सत्ता में रहने के समय 2013 में 'गरीबी' का एक पैमाना तय किया था। उस समय मनमोहन सरकार ने एक रिपोर्ट में कहा था कि, 27 रुपए रोज़ कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। यानी 810 रुपए महीने में इंसान सब कुछ कर सकता था, खा सकता था, बीवी-बच्चों को भी पाल सकता था, और उनकी दवा-इलाज का भी खर्च उठा सकता था। 2004 से 2014 तक कांग्रेस ने कभी गरीबों के खातों में पैसे डालने की योजना नहीं निकाली, उल्टा गरीबों की संख्या कम करने के लिए पैमाना ही बदल डाला।
???????????? 27 crore people out of poverty !!?
— Kap (@kapil73vats) April 30, 2024
What was the fcuking #Criteria
" 27 रूपए कमाने वाला गरीब नहीं "
हो गई #गरीबी खत्म !! https://t.co/wDcwcOHUwh pic.twitter.com/b1GlxFTYP1
वैसे उस समय 70 फीसद गरीबों के बैंक खाते थे भी नहीं, जन धन योजना में आज 95 फीसद भारतीय बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ चुके हैं। बहरहाल, अब कांग्रेस की खटाखट योजना कानूनी पचड़े में फंस गई है। नई दिल्ली के एक वकील विभोर आनंद ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है, क्योंकि भारत के चुनाव कानून पार्टियों को वोट के लिए "वादा" करने और नकद वितरित करने से रोकते हैं। प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं के अनुसार, आनंद ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर भारत के चुनाव आयोग (EC) को इस मामले का संज्ञान लेने का निर्देश देने की मांग की है।
पोल पूर्वानुमानों के विपरीत, कांग्रेस पार्टी ने 99 सीटें जीतीं और 2019 में जीती गई 52 सीटों की पिछली स्थिति से लगभग दोगुनी सीटें जीतीं हैं। चुनाव प्रचार के आखिरी कुछ हफ्तों के दौरान, राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका दोनों ही "खटाखट योजना" का प्रचार करते देखे गए, जिसमें कांग्रेस को सत्ता में लाने पर महिला मतदाताओं के खातों में हर महीने 8500 रुपये और हर साल 1 लाख रुपये ट्रांसफर करने का वादा किया गया था। रिपोर्टों में कहा गया है कि कांग्रेस ने कई घरों में 'गारंटी कार्ड' या वचन पत्र बांटे थे, जिसमें उन्हें सत्ता में लाने के लिए हर गरीब परिवार की महिला मुखिया को हर साल 1 लाख रुपये देने का वादा किया गया था। 2019 में, राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में अपने पारिवारिक गढ़ अमेठी से हार गए थे। लेकिन इस बार खटाखट योजना की बदौलत राहुल गांधी इस बार दो सीटें जीतने में सफल रहे: एक उत्तर प्रदेश के रायबरेली से और दूसरी केरल के वायनाड से। आनंद के अनुसार, खटाखट योजना और गारंटी कार्ड का वितरण वोटर्स को "रिश्वत देने" के समान है।"
उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है कि, "कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न आम चुनावों में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) के तहत अपराध किया है, जो मतदाताओं को रिश्वत देने के एकमात्र इरादे से घोर भ्रष्ट आचरण के बराबर है।" भारत में चुनाव जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत संचालित होते हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के अनुसार, जो चुनावों के दौरान भ्रष्ट आचरण से संबंधित है: "रिश्वत किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उम्मीदवार या उसके चुनाव एजेंट की सहमति से किसी व्यक्ति को किसी भी तरह का उपहार, प्रस्ताव या वादा है, जिसका उद्देश्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति को चुनाव में उम्मीदवार बनने या न बनने, या किसी मतदाता को चुनाव में मतदान करने या मतदान न करने, या किसी व्यक्ति को चुनाव में उम्मीदवार बनने या न बनने के लिए या किसी मतदाता को मतदान करने या मतदान न करने के लिए पुरस्कार के रूप में प्रेरित करना है।
सीधे शब्दों में कहें तो, कांग्रेस पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए मतदाताओं को सीधे उनके खाते में एक लाख रुपये देने का राहुल गांधी का वादा और इस तरह के गारंटी कार्ड वितरित करना भारत में चुनाव कानूनों को नियंत्रित करने वाले जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धाराओं के तहत "रिश्वत" के बराबर है।
वकील विभोर आनंद ने अपनी शिकायत में कहा है कि, "जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 और कांग्रेस गारंटी कार्ड की सामग्री को पढ़ने से ही यह स्थापित हो जाता है कि कांग्रेस और उसके नेताओं ने अपने सभी सदस्यों के साथ मिलकर महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए हर महिला मतदाता को 8500 रुपये प्रति माह/1 लाख रुपये प्रति वर्ष की रिश्वत देकर घोर भ्रष्ट आचरण किया। उपर्युक्त तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने अपने सदस्यों के साथ मिलकर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(1) के तहत अपराध किया है।"
लखनऊ के बाद अब बेंगलोर से भी आई न्यूज
— rebanta pandey (@Jitu172) June 5, 2024
महिलाएं खटाखट स्कीम के तहत आने वाले
8.5हज़ार रूपये के लिए हज़ारों की संख्या में पोस्ट ऑफिस पंहुची..
तो यह कहा जा सकता है कि UP,और कर्नाटक में N.D.A के खराब प्रदर्शन और I.N.D.I.A के धमाकेदार प्रदर्शन का असल वजह यही था....
खटाखट खटाखट खटाखट… pic.twitter.com/d3vuXCinFI
इसके अलावा आनंद ने कहा कि कांग्रेस ने गरीब मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश की। उन्होंने पत्र में लिखा कि, "यहां यह उल्लेख करना उचित है कि पिछले 3 दिनों में, कांग्रेस कार्यालयों के सामने हजारों महिलाओं की कतारों के वीडियो मीडिया में छाए हुए हैं, दिलचस्प बात यह है कि कतारों में खड़ी इन महिलाओं में से अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं, इसलिए कांग्रेस गारंटी कार्ड के माध्यम से एक विशेष समुदाय के मतदाताओं को लुभाने की संभावना संदेह से परे है।" आनंद ने मांग की है कि भारत के चुनाव आयोग को कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी वाड्रा, सोनिया गांधी के साथ-साथ कांग्रेस के सभी सदस्यों के खिलाफ कांग्रेस गारंटी कार्ड के माध्यम से रिश्वत देकर मतदाताओं को लुभाने में शामिल होने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 146 के तहत जांच शुरू करने का निर्देश दिया जाए और कांग्रेस के सभी 99 उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया जाए जो लोकसभा के लिए चुने गए हैं।
हालाँकि, कुछ लोगों ने इसे मोदी सरकार के 15 लाख से भी जोड़ा है। लेकिन इसके पीछे तथ्य ये है कि, न तो भाजपा के घोषणा पत्र में 15 लाख रुपए देने का वादा था और न ही उसने कोई गारंटी कार्ड बांटे थे। नरेंद्र मोदी ने उस समय (2014) में अपने भाषणों में कहा था कि, विदेशों में भारतीय नेताओं का इतना काला धन रखा हुआ है, जिसे अगर भारत लाया जाए, तो हर गरीब परिवार को 15-15 लाख रुपए मिल सकते हैं। लेकिन, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में भी लिखित में ये वादा किया है और महिलाओं को अपनी बैंक आदि की जानकारी भरने के लिए गारंटी कार्ड भी बांटे हैं, जिसके कारण अब उसे कानूनी परेशानी का समस्या करना पड़ सकता है।
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