लंदन। ब्रिटेन में संपन्न हुए संसदीय चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी को निराशाजनक परिणामों का सामना करना पड़ा है। यह पार्टी 650 सीटों वाली संसद में बहुमत के लिए आवश्यक 26 सीटें प्राप्त करने में असफल रही इसे केवल 318 सीटें ही मिलीं। इस तरह से पार्टी को बहुमत प्राप्त करने के लिए साझा सरकार बनानी होगी। इसके लिए अन्य दलों से चर्चा करनी होगी। माना जा रहा है कि अब निवर्तमान प्रधानमंत्री टेरेज़ा मे सरकार बनाने के लिए रानी एलिजाबेथ से अनुमति प्राप्त करने के बाद 10 सीटें जीतने वाली डैमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी का सहयोग लेगी।
यदि कंजर्वेटिव पार्टी कोई विकल्प नहीं दे पाई तो फिर दोबारा चुनाव होंगे। गौरलब है कि ब्रिटेन योरपीय यूनियन से अलग हो चुका है। ऐसे में देश में प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने चुनाव से तीन वर्ष पहले जनमत जानने के लिए चुनाव करवाने का निर्णय लिया था। इसके अंतर्गत 8 जून को ब्रिटेन मेें मतदान हुआ था। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री का नियत कार्यकाल 4 वर्ष का होता है। दरअसल डेडि कैमरून ने जनमत संग्रह के माध्यम से योरपीय यूनियन से ब्रिटेन के बाहर आ जाने के बाद प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था।
इसके बाद 1 जुलाई वर्ष 2016 को वे ब्रिटेन की दूसरी महिला प्रधानमंत्री निर्वाचित हुई थीं। गौरतलब है कि ब्रिटेन की पहली आयरन लेडी मारग्रेट थैचर 4 मई 1979 से 28 नवंबर तक इंग्लैंड की प्रधानमंत्री थीं। गौरतलब है कि कंजर्वेटिव पार्टी की विरोधी पार्टी लेबर पार्टी के उम्मीदवार जेरेमी कोरबिन चुनावी मैदान में थे तो दूसरी ओर लिबरल डेमोक्रेट टिम फैरेन और यूके आई पी के प्रत्याशी पाल नटाल चुनाव में प्रत्याशी के तौर पर भागीदारी कर रहे थे। दरअसल चुनाव पर योरपीय यूनियन से अलग हो जाने और ब्रिटेन में बढ़ते आतंकी हमले का असर माना जा रहा है।
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