भारतीय शीर्ष अदालत ने कहा कि लगातार काम करने से डॉक्टरों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र को सुझाव दिया है कि वह पिछले सात-आठ महीने से कोरोना ड्यूटी में लगे डॉक्टरों को ब्रेक देने पर विचार करे।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर एस रेड्डी और एम आर शाह की पीठ ने कोरोना मरीजों के उचित इलाज और अस्पतालों में शवों की सम्मानजनक हैंडलिंग पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एक स्वत: संज्ञान लेते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे डॉक्टरों को कुछ दिन का अवकाश देने के सुझावों पर विचार करें। सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को आश्वासन दिया कि सरकार कोरोना ड्यूटी में लगे स्वास्थ्य कर्मियों को कुछ ब्रेक देने के पीठ के सुझाव पर विचार करेगी।
पिछले सात-आठ महीनों से डॉक्टरों को कोई ब्रेक नहीं दिया गया है और वे लगातार काम कर रहे हैं। आप अनुदेश लेते हैं और उन्हें कुछ ब्रेक देने पर सोचते हैं। पीठ ने सॉलिसिटर से कहा, यह बहुत दर्दनाक होना चाहिए और उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी हैरानी जताई कि गुजरात सरकार ने फेस मास्क न पहनने पर करीब 90 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है, लेकिन मास्क के COVID-19-उचित उपयोग पर दिशा-निर्देशों को लागू नहीं कर पाया है।
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