लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कासगंज-फर्रुखाबाद रेलवे ट्रैक पर शुक्रवार रात एक पैसेंजर ट्रेन को पलटने की कोशिश की गई, लेकिन ड्राइवर की सतर्कता और सूझबूझ से एक बड़ी दुर्घटना टल गई। ट्रेन के रास्ते में किसी असामाजिक तत्व ने लकड़ी का गट्टा डालकर साजिश रची थी, जिससे ट्रेन पटरी से उतर सकती थी। ये बड़ा सा टुकड़ा ट्रेन के इंजिन में फंस गया था। tहालांकि, ड्राइवर ने समय रहते इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक लिया और लकड़ी को हटाया गया।
ट्रेन को पटरी से उतारने की एक और साजिश!
— Sandeep Thakur (@thakurbjpdelhi) August 24, 2024
यूपी में बड़ा हादसा टल गया. फर्रुखाबाद में कासगंज एक्सप्रेस के इंजन में कथित तौर पर पटरी पर रखा पेड़ का टुकड़ा फंस गया. ट्रेन को रोक दिया गया और यात्रा शुरू करने से पहले पेड़ (बूटा) को सुरक्षित रूप से हटा दिया गया जीआरपी, आरपीएफ और… pic.twitter.com/WmnpOXUoOT
यह घटना ट्रेन संख्या 05389 के साथ हुई, जो शुक्रवार रात 11:18 बजे कायमगंज रेलवे स्टेशन से फर्रुखाबाद के लिए निकली थी। जब ट्रेन अमलइया गांव के पास पहुंची, तो ड्राइवर ने ट्रैक पर रखे लकड़ी के मोटे से गट्टे (पेड़ के तने की तरह) को देख लिया और तुरंत इमरजेंसी ब्रेक का उपयोग किया। हालांकि, ट्रेन की गति 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटे थी, जिससे गट्टा इंजन में फंस गया और कुछ दूर तक घसीटता रहा। लेकिन ड्राइवर ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया और बड़ी दुर्घटना होने से बच गई।
इस घटना के बाद इज्जत नगर मंडल के डीआरएम के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि घटना की जांच के लिए आरपीएफ की टीम को मौके पर भेजा गया। टीम ने जांच-पड़ताल की और पाया कि यह असामाजिक तत्वों द्वारा ट्रेन को पलटने की कोशिश थी। घटना रात 11:38 बजे की है और ट्रेन लगभग 30 मिनट तक वहीं रुकी रही, जिसके बाद वह फर्रुखाबाद के लिए रवाना हो गई।
ट्रेन एक्सीडेंट: हादसा या साजिश ?
बता दें कि, इससे पहले केरल में मुनव्वर अली (37) और अब्बास अली (47) रेलवे की सिग्नल केबल उखाड़ते हुए पकड़े गए थे, जो ट्रेनों को निर्देश देने के काम आता है। पकड़े जाने पर उन्होंने कहा कि वे तो इसे कबाड़ में बेचने के लिए चुरा रहे थे। लेकिन, सिग्नल की नाकामी की वजह से अगर कोई हादसा हो जाता तो कौन जिम्मेदार रहता ? संभावना ये भी है कि, ये किसी आतंकी साजिश का हिस्सा हो, और मकसद ट्रेन दुर्घटना करवाना ही हो। क्योंकि, इससे पहले ऐसा हो चुका है। साल 2021 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में किरंदुल-विशाखापट्टनम एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, ये घटना नक्सलियों द्वारा रेल पटरी की फिश प्लेट (दो पटरियों को जोड़ने वाली प्लेट) निकलाने के कारण हुई थी। इसी तरह बंगाल में 2010 में अमिय महतो ,महंत महतो, सुनील महतो, मनोज महतो समेत कई नक्सलियों ने पटरियों की फिशप्लेट हटा दी थी, जिससे ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई और दूसरी मालगाड़ी उसमे जा घुसी, इसमें 150 लोगों की दुखद मौत हुई।
वडकारा, केरल: रेलवे पुलिस ने रेलवे सिग्नल केबल काटने और हटाने के आरोप में मोहम्मद अब्बास (47) और मुनव्वर अली (37) को गिरफ्तार किया है।
— हम लोग We The People ???????? (@ajaychauhan41) June 22, 2024
रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि इससे रेलवे सिग्नलिंग प्रणाली में व्यवधान उत्पन्न हुआ, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 10 ट्रेनें विलंबित हुईं।
पुलिस के… pic.twitter.com/RgLduc40Ul
इसी प्रकार असम में 2022 में भीषण बाढ़ आई थी, इस प्राकृतिक आपदा में कई लोगों की जान चली गई थी। बाद में जांच में पता चला कि, काबुल खान, मिठू हुसैन लस्कर, नजीर हुसैन लस्कर और रिपन खान ने जानबूझकर सिल्चर डैम को क्षतिग्रस्त कर दिया था, जिससे पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया और लाखों लोगों के घर तबाह हो गए थे। हाल ही में बंगाल में एक रेलवे सिग्नल पर कोई अख़बार लगा गया था, जिसे RPF ने समय रहते हटा दिया, वरना वो सिग्नल भी बंद हो चुका था। ये घटनाएं बताती हैं कि, जिसे हादसा या प्राकृतिक आपदा समझा जाता है, वो आतंकियों-नक्सलियों की सोची समझी साजिश भी हो सकती है। ऐसे में सरकार और समाज को अत्यधिक जागरूक रहने की आवश्यकता है, क्योंकि इस वक़्त भारत के दुश्मन बहुत हैं, देश के अंदर भी और देश के बाहर भी।
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