हम आपको बता दें कब्ज दरअसल, आमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है या मलक्रिया में कठिनाई होती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है और पेट में गैस बनती है। कब्ज खानपान में असावधानी की वजह से होता है।
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इस तरह से करें बचाव
जानकारी के लिए हम आपको बता दें कब्ज रोग का उपचार करने के लिए कभी भी दस्त लाने वाली औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए, बल्कि कब्ज के कारणों को दूर करना चाहिए और फिर प्राकृतिक चिकित्सा से इसका उपचार कराना चाहिए। इसी के साथ कब्ज को ठीक करने के लिए चोकर सहित आटे की रोटी और हरी पत्तेदार सब्जियां चबा-चबा कर खानी चाहिए। रेशे वाले फल, शाक आदि का नियमित प्रयोग करें। प्रतिदिन कम से कम आठ दस गिलास पानी पीएं।
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यह भी है इससे बचाव के उपाय
इसी के साथ हम आपको बता दें भोजन में दाल की अपेक्षा सब्जी, बथुआ, पालक आदि शाक का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। उबली हुई गाजर और पके हुए अमरूद का सेवन सर्वोत्तम होता है। वही कब्ज का उपचार करने के लिए रोगी को अपने पेट पर बीस से पच्चीस मिनट तक मिट्टी की या कपड़े की पट्टी करनी चाहिए। यह क्रिया प्रतिदिन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
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