लातूर: महाराष्ट्र के लातूर में ड्यूटी के चलते तंबाकू का सेवन करना 9 सरकारी कर्मचारियों को भारी पड़ा गया. उनके खिलाफ विभाग ने कार्रवाई कर दी. एक अफसर ने बताया कि सोमवार को जिलाधिकारी दफ्तर एवं स्वास्थ्य सेवाओं के उप निदेशक कार्यालय के औचक निरीक्षण के पश्चात् उनसे 1,600 रुपये का जुर्माना वसूला गया. उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर पृथ्वीराज बीपी ने जिले के सभी सरकारी दफ्तरों को तंबाकू मुक्त करने का निर्देश दिया है. जानते हैं उस नियम के बारे में जिसके तहत यह कार्रवाई की गई है.
भारत में सिगरेट एवं दूसरे तंबाकू प्रोडक्ट की बिक्री एवं उसके सेवन पर रोक लगाने के लिए 1975 में सिगरेट एक्ट लागू किया गया था. तत्पश्चात, 2003 में इसमें संशोधन किया गया, जिसे सिगरेट एंड अदर टोबेको प्रोडक्ट अधिनियम (कोटपा) अधिनियम 2003 कहा गया. कोटपा अधिनियम के तहत 33 धाराओं के तहत सजा का प्रावधान है.
कोटपा ऐक्ट में ये पांच धाराएं हैं अहम:-
धारा 4 -
सभी सार्वजनिक स्थानों पर पर धूम्रपान पर पूरी तरह से बैन रहेगा. सरकारी-निजी क्षेत्र के सर्वजनिक स्थलों पर नो-स्मोकिंग जोन का साइन बोर्ड लगा होना चाहिए. होटल, रेस्तरां, सिनेमा हॉल, मॉल आदि के मालिकों को 60 सेमी x 30 सेमी बोर्ड पर नो स्मोकिंग बोर्ड प्रदर्शित करना चाहिए. नियम टूटने पर 200 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
धारा 5 -
तंबाकू उत्पादों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विज्ञापन, प्रमोशन एवं प्रोत्साहन पर प्रतिबंध रहेगा. तम्बाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानों को 60 सेमी x 45 सेमी का बोर्ड प्रदर्शित करना चाहिए, जिसमें तम्बाकू की वजह से कैंसर होते हैं. नियमों के उल्लंघन करने पर 1000 रुपये से 5000 रुपये जुर्माना या 10-5 साल की कैद हो सकती है.
धारा 6(क) -
18 वर्ष से कम आयु के नाबालिगों को तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पाबंदी है. दुकानों को बोर्ड दिखाना चाहिए कि तंबाकू उत्पाद की बिक्री 18 साल से कम है. नियम तोड़ने पर 200 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
धारा 6(ख) -
शिक्षा संस्थान के 100 यार्ड के अंदर तंबाकू उत्पादों की बिक्री दंडनीय है. उल्लंघन करने पर 200 रुपये तक जुर्माना हो सकता है.
धारा-7-
बिना विशिष्ट स्वास्थ्य चेतावनी के सिगरेट एवं अन्य तंबाकू की बिक्री पर पाबंदी रहेगी. इस चेतावनी को बड़े अक्षरों में लिखना अनिवार्य होगा. यह नियमों को तोड़ने पर 5 हजार रुपये का जुर्माना तथा दो वर्षों की सजा का प्रावधान है. दूसरी दफा नियमों को तोड़ने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना या पांच वर्षों की सजा का प्रावधान है. पहली बार नियमों को तोड़ने पर एक हजार से रुपये का जुर्माना या एक वर्ष की कैद का प्रावधान है, जबकि, दूसरी बार नियमों को तोड़ने पर 3 हजार रुपये का जुर्माना या 2 वर्षों की कैद का प्रावधान है.
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