नई दिल्ली: भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका पर शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. दरअसल, माल्या ने 2017 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। जिसमें बैंक लोन न चुकाकर 40 मिलियन डॉलर अपने परिजनों के अकाउंट में ट्रांसफर किए जाने को शीर्ष अदालत ने अवमानना का मामला माना था.
इससे पहले न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने 16 जून को विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की और सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को तीन वर्ष तक इस पुनर्विचार याचिका से संबंधित फाइल देखने वाले अधिकारियों के नाम समेत पूरा ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने कहा था कि, 'हमारे सम्मुख पेश रिकार्ड के मुताबिक, पुनर्विचार याचिका विगत तीन वर्षों से अदालत के सामने पेश ही नहीं की गई. पुनविचार याचिका में उठाये गये मुद्दों पर गौर करने से पहले हम रजिस्ट्री को यह साफ़ करने का निर्देश देते हैं कि विगत तीन वर्षों में यह याचिका संबंधित अदालत के सामने पेश क्यों नहीं की गई.'
शीर्ष अदालत ने पुनर्विचार याचिका सूचीबद्ध करने में गैरजरूरी देरी को गंभीरता से लेते हुए रजिस्ट्री को दो हफ्ते के अंदर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया था. पीठ ने अपने आदेश मे आगे कहा था कि इसके बाद, पुनर्विचार याचिका पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जायेगा. आज पुनर्विचार याचिका पर शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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