मुंबईः देश की अग्रणी मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों में शुमार एयरटेल का बागडोर अब विदेशी हाथों में जाने की संभावना है। सिंगापुर की टेलीकॉम कंपनी सिंगटेल आने वाले दिनों में एयरटेल की प्रवर्तक कंपनी भारती टेलीकॉम में अपनी हिस्सेदारी 50 फीसद से ज्यादा करने की तैयारी कर रही है। भारती टेलीकॉम का बागडोर विदेशी हाथों में पहुंचते ही एयरटेल में इसकी पूरी भागीदारी विदेशी निवेश की श्रेणी में पहुंच जाएगी।
भारती एयरटेल ने कहा कि भारती टेलीकॉम लिमिटेड अपने कुछ पुराने ऋणों को निपटाने के लिए भागीदारीयों में परिवर्तन कर सकती है। इससे सिंगटेल सहित कुछ मौजूदा प्रवर्तकों की भागीदारी बढ़ेगी। विदेशी इक्विटी में थोड़े से परिवर्तन से ही भारती टेलीकॉम में विदेशी निवेश 50 प्रतिशत से ऊपर पहुंच जाएगा, जिससे कंपनी विदेशी कंट्रोल में आ जाएगी। ऐसा होने के बाद एयरटेल में भारती टेलीकॉम का पूरा निवेश खूद ही विदेशी निवेश की श्रेणी में आ जाएगा। अभी एयरटेल में विदेशी भागीदारी 43 प्रतिशत है।
परिवर्तन के बाद कुल विदेशी भागीदारी बढ़कर करीब 85 प्रतिशत हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित निवेश प्रस्ताव को स्पष्ट करते हुए एयरटेल ने दूसरी बार 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी के लिए अप्लाई किया है। भारती एयरटेल में सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत हिस्सेदारी भारती टेलीकॉम की है। उधर, भारती टेलीकॉम में सुनील भारती मित्तल और उनके परिवार की भागीदारी करीब 52 प्रतिशत है।
प्रस्तावित निवेश के बाद भारती टेलीकॉम में सिंगटेल की भागीदारी 52 प्रतिशत हो जाएगी और कंट्रोल सिंगटेल के हाथ में पहुंच जाएगा। एयरटेल इस प्रतिशत के बाद सिंगटेल से मिले निवेश का उपयोग कर अपना कर्ज कम कर सकती है। आंकड़ों के अनुसार, इस साल 30 जून तक कंपनी पर कुल 1,16,645.8 करोड़ रुपये का ऋण था। दरअसल, जियो के बाजार में आने के बाद कई टेलीकॉम कंपनियां दवाब में आ गई है।
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