दीपाली रस्तोगी के पति मनीष रस्तोगी ने ई टेंडरिंग घोटाले का ख़ुलासा किया था. उस वजह से उन्हें वहां से हटा दिया गया था. ईमानदार अधिकारियों के साथ इस तरह के बर्ताव से दीपाली रस्तोगी की नाराज़गी जायज है. यह कहना है कांग्रेस मीडिया सेल के चेयरमैन मानक अग्रवाल का. इस पर बीजेपी का कहना जनप्रतिनिधि औऱ आईएएस अधिकारी दोनों के सामंजस्य से ही विकास होता है. ज़ाहिर है लोकतंत्र में दोनों की ज़िम्मेदारियां हैं. किसी अधिकारी का मत उसके अनुभव के आधार पर हो सकता है. सांसद आलोक संजर ने कहा अधिकारी और नेता दोनों को ही जनता के हित के लिए काम करना चाहिए और इसमें अगर मतभेद हों तो उन्हें दूर करते रहना चाहिए.
मध्यप्रदेश की वरिष्ठ आईएएस अफसर दीपाली रस्तोगी ने अपने लेख में आईएएस अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा कि अच्छे आईएएस अधिकारी की परिभाषा बदल चुकी है.अच्छा अधिकारी उसी को माना जाता है जो नेता की इच्छा के हिसाब से काम करता है.
नेता के मुंह से जो शब्द निकले उसके हिसाब से अफसर अपनी योजनाएं बनाएं, अच्छा आईएएस अधिकारी वही होता है जिसका अपना कोई मत नहीं होता. अगर होता भी है तो वो उसे कहता नहीं है अपने मन में सीमित रखता है. पिछले कुछ साल में नौकरशाही और राजनीति, सही और गलत, सच और झूठ के बीच की लकीरें हल्की होती जा रही हैं. आईएएस अफसर अपनी सोच खोते जा रहे हैं.
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