पटना: बिहार पुलिस ने हाल ही में पहली बार नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत दोषसिद्धि हासिल की है, जो राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। सारण जिले की निचली अदालत ने रसूलपुर थाना क्षेत्र के धनाडीह गांव में 17 जुलाई को हुए एक जघन्य हत्याकांड के मामले में दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोनों ने प्रेम प्रसंग के चलते एक व्यक्ति और उसकी दो बेटियों की बेरहमी से हत्या की थी।
यह मामला डायल 112 पर आई सूचना के बाद सामने आया, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक घंटे के भीतर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने घटना के दो हफ्ते के भीतर आरोप पत्र दाखिल किया और अदालत ने महज 22 दिनों में ही 13 अगस्त को दोनों आरोपियों को दोषी करार दे दिया। इसके बाद 5 सितंबर को अदालत ने उन्हें BNS की धारा 103(1)/109(1)/329(4) के तहत आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट का ये फैसला इसलिए भी मायने रखता है, क्योंकि, उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड, दिल्ली के श्रद्धा वॉकर हत्याकांड, जैसे जघन्य आरोपों में 2-2 साल बाद भी अभी तक आरोपियों को सजा नहीं सुनाई गई है , जबकि कन्हैयालाल के हत्यारों ने तो वीडियो बनाकर हत्या की थी, वहीं, श्रद्धा के हत्यारे आफताब ने खुद उसके 35 टुकड़े करने की बात कबूली थी। लेकिन, ये दोनों मामलों में पीड़ित परिजन न्याय का रास्ता ही देख रहे हैं। कन्हैयालाल मामले में तो कोर्ट ने एक आरोपी को जमानत तक दे दी है, जिसने हत्या में आतंकियों की मदद की थी।
पुलिस महानिदेशक (DGP) आलोक राज ने पटना में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान इस केस को राज्य पुलिस के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने केस की तेजी से जांच करने वाले अधिकारियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के पदक के लिए नामांकित करने की घोषणा की और उन्हें नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया। साथ ही, राज्य स्तरीय कार्यक्रम में भी इन अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा।
सारण के पुलिस अधीक्षक (SP) आशीष कुमार ने इसे पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि पूरी टीम ने दिन-रात इस केस पर काम किया, खासकर यह देखते हुए कि मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा था और गांव में तनाव पैदा हो सकता था। सटीक और वैज्ञानिक जांच, जैसे डीएनए, एफएसएल, और सीरोलॉजिकल रिपोर्ट्स ने अभियोजन पक्ष को मजबूती दी, जिससे केस जल्दी हल हो गया।
इस घटना में नया भारतीय न्याय संहिता प्रणाली का कार्यान्वयन और उसके जरिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने की तारीफ की जा रही है। नए कानूनों के तहत, भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार लाने के लिए समयबद्ध सुनवाई और सजा के निष्पादन पर जोर दिया गया है। पुराने कानूनों की जगह नए प्रावधान लाकर इसे आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया गया है, जिससे त्वरित और निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
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