वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कोरोना संक्रमण भी एक हवाई संक्रमण है, मगर SARS-CoV-2 को हवा में लेने की संभावना सीधे एक कमरे में कोरोना संक्रमित मामलों की संख्या, उनके लक्षणों तथा जोखिम की अवधि से संबंधित है। अध्ययन से पता चलता है कि कोरोना होने की संभावना सामाजिक दूरी तथा मास्क पहनने पर पूरी प्रकार निर्भर करती है।
वही इसके साथ-साथ बंद घरों और हॉस्पिटल में, जहां कई संक्रमित मरीज हैं, हवाई संक्रमण को पकड़ने की संभावना अधिक हो जाती है। इससे ये बताया जा सकता है कि हॉस्पिटल्स में कोरोना और गैर-कोविद क्षेत्रों को बनाना संक्रमण को रोकने के लिए हॉस्पिटल्स की एक कामयाब रणनीति है। न्यूट्रल एनवायरमेंट कंडीशन में कोरोना रोगियों से संक्रमण नहीं फैलता है, विशेष तौर पर यदि मरीज एसिम्टोमैटिक हैं, तो वायरस के प्रसार को रोकना सरल हो जाता है।
अध्ययन के चलते हैदराबाद और मोहाली के हॉस्पिटल्स के विभिन्न कोविड तथा गैर-कोविड क्षेत्रों से एकत्र किए गए हवा के सैंपलों पर और कोरोना रोगियों के कमरों से SARS-CoV की एयर ट्रांसमिशन को समझने के लिए टेस्टिंग की गई। इसकी सहायता से स्वास्थ्य कर्मियों और हॉस्पिटल्स में आने वालों के लिए जोखिम की संभावना को समझा गया। अध्ययन के परिणाम से पता चलता है कि वायरस न्यूट्रल एनवायरमेंट कंडीशन में हवा में अधिक नहीं फैलता है। विशेष तौर पर यदि मरीज में लक्षण कम हैं। जब कोरोना संक्रमित लोगों ने कमरे में लगभग 20 मिनट का कम वक़्त गुजारा तो वायरस को चार फीट की दूरी पर भी नहीं पाया गया।
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