लंदन: महामारी का रूप ले चुके कोरोना को लेकर एक वैज्ञानिक शोध में बड़ा खुलासा हुआ हैं. अध्ययन में दावा किया गया है कि यह
वायरस प्लास्टिक में 72 और स्टील की सतह पर 48 घंटे तक जिन्दा रह सकता है. यह शोध इसके तेजी से प्रसार के कारणों को उजागर करता है. दुनिया के तीन मुख्य संस्थानों प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी के शोधकर्ताओं ने यह परिणाम निकाला है. यह शोध न्यू इग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपा है.
शोधकर्ताओं ने इस शोध में सार्स और कोरोना का तुलनात्मक अध्ययन किया. विभिन्न सतहों पर इनकी मौजूदगी का टेस्ट किया गया. दोनों में बहुत समानताएं दिखी हैं. कोरोना के ये दोनों स्ट्रेन हवा में तीन घंटे, कॉपर की सतह पर 4 घंटे, स्टेनलेस स्टील पर 48 घंटे और प्लास्टिक में 72 घंटे तक जिन्दा रह सकते हैं. किन्तु लकड़ी पर दोनों के जिन्दा रहने की अवधि अलग-अलग दर्ज की गई. कोरोना लगभग 24 घंटे तक कार्ड बोर्ड पर जिन्दा मिला जबकि सार्स वायरस महज आठ घंटे तक ही कार्ड बोर्ड पर जिन्दा पाया गया.
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह शोध साबित करता है कि यह वायरस किस तरह इतनी तेजी से फैल रहा है. सार्स भी इसी गति से फैला था. शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर कोरोना संक्रमित व्यक्ति स्टील या प्लास्टिक की किसी वस्तु को हाथ लगाता है तो अगले 48 से 72 घंटे के अंदर उसे यदि कोई दूसरा व्यक्ति छूता है और फिर अपना हाथ मुंह या नाक पर लगाता है तो वह संक्रमित हो सकता है. यही बात लकड़ी की बनी वस्तुओं के मामले में भी लागू होती है.
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