दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण ने कोहराम मचा हुआ है. वहीं इस वायरस से बचने के लिए हर देश अपने ओर से प्रयास में जुटे हुए हैं. लेकिन आज हम इसी से मिलते-जुलते नाम की प्रजाति वाले कौवों के बारे में आपको बताने जा रहे है, जो बहुत ही होशियार होते हैं. वैसे तो जानवरों में बन्दर को सबसे ज्यादा चालाक समझा जाता है लेकिन कौवे भी बहुत ज्यादा तेज होते हैं. इनके अंदर खुद को किसी भी परिस्थिति में ढलने की क्षमता होती है.
कोविर्ड नामक प्रजाति के परिवार से संबंध रखने वाले कौवे सबसे ज्यादा होशियार होते हैं. इस प्रजाति में नीलकंठ, मीना और पहाड़ी कौवे भी शामिल हैं. कोविर्ड प्रजाति के कौवे किसी भी विशेष परिस्थिति में अपना जीवन संभव बना लेते हैं. इतना ही नहीं ये अपना खुराक गुमनाम जगह से भी आसानी से प्राप्त करने में सक्षम होते हैं. यह कौवे तिनकों और टहनियों की मदद से पेड़ के तनों में छिपे कीड़े-मकोड़ो को निकाल कर खा जाते हैं. इनकी प्रजाति के ऊपर विशेषज्ञों के द्वारा अध्ययन किया गया. इस अध्ययन में पाया गया कि ये कौवे बहुत ही बुद्धिमानी से काम लेते हैं.
आमतौर पर बंदर, लंगूर और इंसानों के दिमाग में न्यूकारटिक्स पाया जाया जाता है. जिसके वजह से उन्हें होशियार माना जाता है. मगर कोविर्ड प्रजाति के कौवों के दिमाग में न्यूरोन या दिमागी कोशिकाएं के गुच्छे पाए जाते हैं, जो इनके बुद्धिमता को बढ़ाता है. अपनी बुद्धिमता के कारण ही ये कौवे अपने आप को किसी मुश्किल परिस्थिति में ढालने की क्षमता रखते हैं. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि आसाधरण काम करने वाले केवल यही अकेले पक्षी नहीं हैं. तोता, चैंपेजी, मगरमच्छ और कई कीड़ों में भी याद करने की क्षमता होती है.
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