इस्लामबाद: आज के समय में बीमारी हो या कोई आपदा दोनों ही मानव जीवन पर संकट बन ही जाती है. जिसमे से एक है कोरोना वायरस यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका अभी तक कोई तोड़ नहीं मिल पाया है. वहीं इस वायरस की चपेट में आने से 2 लाख 58 हजार से अधिक मौते हो चुकी है, जबकि लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हुए है. ऐसे में वैज्ञानिकों के लिए यह कहना जरा मुश्किल सा है कि इस बीमारी से कब तक निजात मिल पाएगा. वहीं यूरोप और अमेरिकी महाद्वीप के विकसित देश भी अब तक इससे निजात नहीं पा सके हैं. पूरी दुनिया में इसकी वैक्सीन को लेकर शोध तेजी से चल रहा है. पूरी दुनिया में अमेरिका में इसके संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक है.
जानकारी के अनुसार यूरोप में स्पेन में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. एशिया में इस वक्त रूस में सबसे अधिक मामले हैं. दक्षिण अमेरिका में ब्राजील और अफ्रीका में दक्षिण अफ्रीका इससे सबसे अधिक पीडि़त है. इसके अलावा आस्ट्रेलियाई महाद्वीप पर आस्ट्रेलिया को इस वायरस ने जकड़ा हुआ है. कोरोना को लेकर हम आपको लगातार विभिन्न क्षेत्रों, महाद्वीपों पर इसके असर की जानकारी देते रहे हैं. इसी श्रेणी में आज हम आपको इस्लामिक देशों में इसका असर कैसा है इसको बताएंगे.
हम आपको बता दें कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन के वर्तमान में 57 सदस्य देश हैं. ये सभी सदस्य देश भी इस वक्त कोरोना की मार सहने को मजबूर हैं. लेकिन यदि कोरोना से पीडि़त शीर्ष दस देशों की बात करें तो इसमें तुर्की, ईरान, पाकिस्तान, कतर, यूएई, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, मिस्र, मलेशिया और कुवैत का नाम शामिल है. वर्ल्डओमीटर के आंकड़ों के मुताबिक भारत के दो पड़ोसी देश पाकिस्तान इस सूची में नंबर तीन पर है तो बांग्लादेश इसमें सातवें नंबर पर शामिल है. आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि दुनिया के सबसे अधिक पीडि़त दस देशों की सूची में दो इस्लामिक देश शामिल हैं. इनमें से तुर्की आठवें नंबर पर और ईरान 10वें नंबर पर शामिल है.
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