लखनऊ: कोरोना वायरस से कई तरह की समस्यां उत्पन्न हो रही है. वही इस बीच एक और नया खुलासा हुआ है, जिसमे पता चला है की COVID-19 फेफड़े की नसों में थक्का बना रहा है, जिससे श्वसन तंत्र के विफल होने के केस बढ़ रहे हैं. लखनऊ में अब तक हुई 115 मौतों में से 65 फीसदी की वजह श्वसन तंत्र असफल होना पाया गया है. विशेषज्ञों की चिंता इस कारण भी बढ़ रही है कि रेमडेसिविर समेत अन्य दवाओं का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न दिख रहा है.
साथ ही श्वसन तंत्र के विफल होने से जिन 65 फीसदी संक्रमितों की मौत हुई, उनमें बुजुर्ग ही नहीं जवान भी सम्मिलित हैं. कइयों की उम्र 25 से 50 वर्ष के मध्य थी. श्वसनतंत्र के विफल होने के मामले बढ़ने के कारण चिकित्सा विशेषज्ञ भी मंथन में जुटे हुए हैं. वही एसजीपीजीआई के आईसीयू विशेषज्ञ डॉ. जिया हासिम बताते हैं कि COVID-19 के कारण कई मरीजों के फेफड़े में क्लॉटिंग पाई गई है. COVID-19 के फेफड़ों की नसों में थक्का बनाने की प्रक्रिया बहुत रफ़्तार से होती है. थक्के के कारण बॉडी को ऑक्सीजन जाने के सारे रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं. परिणाम-श्वसन तंत्र पूरी प्रकार से विफल हो जाता है.
आगे बताते हुए केजीएमयू के आईसीयू विशेषज्ञ डॉ. वीके सिंह ने कहा, COVID-19 की चपेट में आने वाले व्यक्ति के फेफड़े में संक्रमण होता है. इससे हार्ट को अधिक कार्य करना पड़ता है. ऐसे में कुछ वक़्त पश्चात् वह भी कमजोर पड़ने लगता है. क्योंकि पल्मोनरी फाइब्रोसिस से फेफड़े का एक भाग कार्य करना बंद कर देता है. ऐसे में रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन सरलता से नहीं जा पाती है. ऐसे में सांस लेने में बहुत परेशानी होने लगती है. फेफड़ा सिकुड़ कर जितना छोटा होता है, उसी हिसाब से सांस लेने में परेशानी बढ़ती जाती है. साथ ही ये समस्या और अधिक संकट उत्पन्न कर सकती है.
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