इंदौर : कोरोना का खौफ हर जगह मंडरा रहा है. इसका असर आम जनता पर भी दिख रहा है. वहीं 7 अप्रैल को एमवायएच के टीबी एंड चेस्ट वार्ड में मोतीतबेला की रहने वाली एक मरीज छाया (24) इंदौर में भर्ती थीं. चोइथराम अस्पताल से आई मरीज बायपेप पर थी. इसकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई तो स्वजन ने वापस चोइथराम अस्पताल भेजने को कहा. मरीज को ऑक्सीजन लगवा कर चोइथराम भिजवा दिया. लेकिन जब मरीज पहुंचा तो भर्ती करने से मना कर दिया. एंबुलेंस के ड्राइवर ने वहां मौजूद चिकित्सक से बात भी की लेकिन उसने भर्ती करने से साफ मना कर दिया. एंबुलेंस मरीज को एक अन्य अस्पताल भी ले गई वहां पर भी भर्ती करने से मना कर दिया. इसके बाद ड्राइवर एमवाय वापस लेकर आ गया. लेकिन एमवायएच आते-आते मरीज की हालत बहुत गंभीर हो गई. एमवाय अस्पताल इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
इस पर अभिजीत पांडेय ने निजी अस्पतालों एवं चिकित्सकों की लापरवाही को लेकर सीएमएचओ से शिकायत की है. उन्होंने बताया कि शहर के कई निजी चिकित्सालय और चिकित्सक कोरोना संक्रमण के डर से इलाज करने से लगातार माना कर रहे हैं. जिससे न केवल आमजन को इलाज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है बल्कि हृदयरोग एवं अन्य गंभीर बीमारी के इलाज नहीं होने की दशा में जान का खतरा भी बना हुआ है. देखने में आया है कि शहर के कई विशेषज्ञ चिकित्सक अपने नियमित मरीजों का भी इलाज करने से साफ मना कर रहे हैं.
बता दें की उन गर्भवती महिलाओं का इलाज भी गायनोकोलॉजिस्ट द्वारा भी नहीं किया जा रहा है, जबकि कलेक्टर मनीष सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि मरीजों को इलाज से मना करने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. कमिश्नर आकाश त्रिपाठी भी अस्पताल संचालकों को इस लापरवाही पर चेतावनी दे चुके हैं.
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