विश्वभर की अर्थव्यवस्था Slowdown की चपेट में है और लोग इससे जल्द निकलने की उम्मीद कर रहे हैं। फिलहाल कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन पर असर पड़ना तय है और चीन के लड़खड़ाने से दुनिया पर बड़ा और बुरा असर पड़ सकता है । चीन में कोरोना से कुछ वर्ष पहले सामने आए सार्स ने सैंकड़ों लोगों की जान ले ली थी और इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा था।
दुनियाभर की इकोनॉमी में 16 फीसद की हिस्सेदारी
वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन 2003 की सार्स महामारी के वक्त से ही अनिवार्य हिस्सा है।इसके अलावा यह विश्व की फैक्ट्री के रूप में विकसित हुआ है और आइफोन जैसे प्रॉडक्ट यहीं से निकलते हैं। इसके साथ ही बहुत सी चीजों की यह मांग पैदा करता है। चीन का दावा है कि उसके पास हजारों-लाखों धनी उपभोक्ता हैं जो लग्जरी उत्पादों, पर्यटन और कारों पर खर्च करते हैं।वही एक अनुमान के तौर पर 2003 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन की हिस्सेदारी चार फीसद थी, वहीं आज यह करीब 16 फीसद तक पहुंच चुकी है।
सार्स ने पहुंचाया था नुकसान
सार्स के चलते 8,098 लोग बीमार हुए थे और 774 मारे गए थे। हालांकि चीन के वुहान शहर में कोरोना के सामने आने के बाद से 700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है वही और दुनिया के लगभग 25 देशों के 35 हजार लोग संक्रमण से जूझ रहे हैं। चीनी अधिकारियों ने वुहान के साथ कुछ अन्य शहरों को भी बंद कर दिया है। बावजूद इसके वायरस लगातार फैलता जा रहा है।
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