जल्द से जल्द कोरोना वैक्सीन का ट्रायल भारत करना चाहता है. ताकि कोरोना की और प्रभावी वैक्सीन पॉजीटिव मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध कराई जा सके. बता दे कि आइसीएमआर (ICMR) द्वारा अस्पतालों को एक पत्र लिखा गया है. जिस पर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. चिकित्सा क्षेत्र की इसी शीर्ष संस्था के पूर्व महानिदेशक एन.के. गांगुली ने कहा कि एक अच्छी वैक्सीन विकसित करने के लिए कम से कम 18 महीने का समय लगता है.
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अपने बयान में उन्होंने बताया कि कोरोना की वैक्सीन को विकसित कर रही भारत बायोटेक को वायरस का स्ट्रेन मई में दिया गया और जुलाई में ह्यूमन ट्रायल की अनुमति दे दी गई है. उन्होंने वैक्सीन विकसित करने की लंबी प्रक्रिया को समझाते हुए कहा कि काफी पैसा और समय खर्च करने के बाद भी अनिश्चितता बनी रहती है. यह कहना कठिन होता है कि वैक्सीन सफल होगी कि नहीं.
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वैक्सीन को जल्द से जल्द बाजार में लाने की कोशिश को लेकर सीएसआइआर और सेंटर फार सेल्युलर एंड मालीक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के निदेशक राकेश के. मिश्र ने अपना बयान जारी किया है. जिसमें उन्होने कहा कि कोरोना की कोई भी वैक्सीन अगले साल की शुरुआत में ही संभव है. इस संबंध में आइसीएमआर द्वारा पत्र लिखने से अस्पतालों पर बेवजह का दबाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ योजना के तहत चला तब भी वैक्सीन आने में छह से आठ महीने लग जाएंगे.वही, इस मामले में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता पृथ्वीनाथ चह्वाण ने कहा कि आइसीएमआर 15 अगस्त से पहले वैक्सीन के लिए इसलिए दबाव बना रहा है ताकि प्रधानमंत्री लालकिले से इसकी घोषणा कर सकें. उन्होंने कहा कि जब दुनिया भर के विशेषज्ञ वैक्सीन के लिए 12 से 18 महीने का समय दे रहे हैं तो आइसीएमआर क्यों इतनी कम मोहलत दे रहा है.
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