म्यूनिख: आज एक इस महामारी और बीमारियों से भरे दौर में कोरोना ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. वहीं इस वायरस के कारण आज हर तरफ केवल तवाही का मंज़र देखने को मिल रहा है. वहीं हर दिन केवल कोरोना वायरस ही नहीं बल्कि ऐसी और भी बीमारियां है जिसके बारें में अभी भी कोई नहीं जनता है. वहीं कोरोना की चपेट में आने से अब तक पूरी दुनिया में 17200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जंहा अब तक कोरोना वायरस की चपेट में इस वक्त दुनिया के 190 देश हैं. एशिया के बाद यूरोप में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं. जर्मनी में इसकी वजह से अब तक 123 मौत हो चुकी हैं. इसके अलावा देश में अब तक कोरोना वायरस के कुल 29056 मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, 453 मरीज ठीक भी हुए हैं. खुद जर्मन चांसलर एंजिला मर्केल क्वारंटाइन में हैं और घर से काम कर रही हैं. जर्मनी के अखबार डाइचे वेले के मुताबिक, वह कोरोना वायरस से पीड़ित एक डॉक्टर के संपर्क में आई थी. इसकी जानकारी होने के बाद वो खुद क्वारंटाइन में चली गईं.
मिली जानकारी के अनुसार पूरी दुनिया इसकी वजह से होने वाले आर्थिक नुकसान से भी काफी डरी हुई है. इस बीच जर्मनी की एक आर्थिक रिसर्च संस्था और वहां के थिंक टैंक इफो इंस्टीट्यूट ने यह आशंका जताई है कि जर्मनी में इसकी वजह 411 खरब रुपये की आर्थिक चपत लग सकती है. यह भी कहा जा रहा है कि इसके अलावा करीब 10 लाख नौकरियों पर भी इसका संकट मंडराता दिखाई दे रहा है.
वहीं इस बात का पता चला है कि यह अनुमान ऐसे समय में सामने आया है जब जर्मनी की सरकार कोरोना संकट को देखते हुए एक बड़ा आर्थिक पैकेज तैयार कर रही है. सरकार 2020 के लिए 128 खरब रुपये का एक पूरक बजट लाने के बारे में भी सोच रही है. म्यूनिख में स्थित इफो इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष क्लेमेंस फुएस्ट का यहां तक कहना है कि नुकसान का जो अनुमान लगाया जा रहा है यह इससे भी कहीं ज्यादा हो सकता है. यह कीमत जर्मनी में आर्थिक संकट या फिर प्राकृतिक आपदाओं के चलते होने वाले नुकसान से कहीं अधिक हो सकती है.
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