कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सब कुछ बंद किया गया है ऐसे में अदालती कामकाज भी 21 दिन के लिए लगभग बंद है. सिर्फ अत्यंत जरूरी मामलों की सुनवाई की जा रही है. देश भर की अदालतों में तीन करोड़ से ज्यादा मुकदमें लंबित हैं. कोरोना के कारण ठप हुए कामकाज से न सिर्फ अदालतों में मुकदमों का ढेर बढ़ जाएगा बल्कि न्याय मिलने में लगने वाला समय भी बढ़ जाएगा. यानी न्याय में देरी और बढ़ेगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कोरोना के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने 25 मार्च से 21 दिन का देशव्यापी संपूर्ण बंद घोषित किया है. हालांकि इस घोषणा से पहले ही सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों व जिला अदालतों में ऐतिहाती कदम उठाते हुए कामकाज सीमित कर दिया था और सभी मामलों की नियमित सुनवाई के बजाए अदालतों ने स्वयं को जरूरी मुकदमों की सुनवाई तक सीमित कर लिया था.
इस वजह से मुकदमों का निपटारा और सुनवाई तो सीमित हो गई थी लेकिन मुकदमों के दाखिल होने पर कोई रोक नहीं थी ऐसे में नये मुकदमें दाखिल होने की दर पूर्ववत रही और निस्तारण की दर थम गई. जिसका सीधा नतीजा अदालत में लंबित मुकदमों की संख्या बढऩा और मुकदमों का ढेर और बड़ा होते जाना है.
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