देहरादून: आज के समय में बीमारी हो या कोई आपदा दोनों ही मानव जीवन पर संकट बन ही जाती है. जिसमे से एक है कोरोना वायरस यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका अभी तक कोई तोड़ नहीं मिल पाया है. जबकि लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हुए है. ऐसे में वैज्ञानिकों के लिए यह कहना जरा मुश्किल सा है कि इस बीमारी से कब तक निजात मिल पाएगा. वहीं उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार अब निजी पैथोलॉजी लैब में भी कोरोना सैंपल की जांच कराएगी. सरकार ने टेंडर जारी करने के लिए चार दिन की समय सीमा तय की है. उत्तर प्रदेश व अन्य राज्य जिस रेट पर टेस्टिंग करा रहे हैं, उसी रेट पर प्रदेश में भी निजी लैब से सैंपल जांच कराए जाएंगे. इसका भुगतान सरकार करेगी.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में सैंपलिंग बढ़ने के साथ ही सरकारी लैब में जांच का दबाव बढ़ गया है. प्रदेश में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अनुमति के बाद चार सरकारी लैब और एक प्राइवेट लैब में कोरोना सैंपलों की जांच की जा रही है. पूरे प्रदेश में अभी तक 25 हजार 380 सैंपल जांच के लिए गए हैं. इसमें 19 हजार 77 की रिपोर्ट निगेटिव आई है. जबकि 4758 सैंपल वेटिंग में हैं. प्रदेश में सैंपलिंग में तेजी लाने के लिए उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों की तर्ज पर सरकार ने निजी लैब से सैंपलों की जांच कराने का निर्णय लिया है.
मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य को भी दिए अधिकार: कोविड महामारी से निपटने के लिए सरकार ने मेडिकल उपकरण खरीदने को चिकित्सा शिक्षा निदेशक, स्वास्थ्य महानिदेशक, जिलाधिकारियों को दिए तीन माह के लिए अधिकार की समय सीमा 28 फरवरी 2021 या महामारी समाप्त होने तक बढ़ा दी है. जंहा इस बात का पता चला है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को भी तीन करोड़ तक के मेडिकल उपकरण खरीदने का अधिकार दिया गया है. राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों को अग्रिम भुगतान 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया गया है. स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्स से कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए जिलाधिकारियों को दिए गए अधिकार भी 28 फरवरी 2021 तक बढ़ा दिए हैं.
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