दून अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद होम क्वारंटीन होने के बजाय कोरोना पॉजिटिव रही युवती कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती भाई के पास पहुंच गई। इसके साथ ही इसकी जानकारी मिलते ही अस्पताल स्टाफ, भर्ती मरीजों और तीमारदारों में हड़कंप मच गया। वहीं युवती की डिस्चार्ज स्लिप पर गलत तारीख दर्ज होने से भ्रम फैल गया कि उसे पांच दिन में ही डिस्चार्ज कर दिया गया है। इस पर लोगों ने युवती को अस्पताल से हटाने की मांग की। वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आनन-फानन में युवती को सर्वे चौक स्थित कोरोना केयर सेंटर शिफ्ट कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, चमोली निवासी 17 वर्षीय एक किशोर कुछ दिन पहले छत से गिरकर घायल हो गया था। किशोर को पहले एम्स ऋषिकेश और फिर कोरोनेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया।
उसकी 22 वर्षीय बहन भी अस्पताल में उसके साथ ही रहती थी। इसी बीच युवती में कोरोना के लक्षण दिखने पर उसकी जांच कराई गई, जिसमें उसके पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई।इसके बाद युवती को दून अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। सोमवार को युवती को होम क्वारंटीन रहने के निर्देश देकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही युवती कोरोनेशन अस्पताल में उपचार करवा रहे अपने भाई के पास पहुंच गई। मंगलवार को आसपास के मरीजों और अस्पताल स्टाफ को इसकी जानकारी मिली, तो अस्पताल में हड़कंप मच गया। अन्य भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों ने पॉजिटिव मरीज को वहां से हटाने की मांग की।इसको लेकर कई लोगों ने अपना विरोध भी जताया। उन्होंने कहा कि कोरोना पॉजिटिव रही युवती को सामान्य मरीजों के साथ नहीं रखा जाना चाहिए। इस पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने युवती को सर्वे चौक स्थित कोविड केयर सेंटर शिफ्ट कर दिया।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की कोविड नोडल अफसर डा. एनएस खत्री ने बताया कि नई गाइडलाइन के अनुसार 10 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान जिन मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखता या स्वास्थ्य खराब नहीं होता, उन्हें होम क्वारंटीन करने की व्यवस्था है। वहीं उन्होंने बताया कि युवती को 28 मई को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से आठ जून को डिस्चार्ज किया गया। उन्होंने कहा कि इस दौरान युवती के भाई के दो बार सैंपल लिए गए, जिसमें रिपोर्ट नेगेटिव आई है। हालांकि युवक को कई अन्य दिक्कतें हैं, जिसके कारण उसे फिलहाल अस्पताल में भर्ती रखना जरूरी है।उन्होंने कहा कि तय गाइडलाइन के अनुसार युवती को 10 दिन भर्ती रखने के बाद डिस्चार्ज किया गया। हालांकि डिस्चार्ज स्लिप में भर्ती करने की तारीख गलती से 28 मई के बजाय तीन जून लिखी गई, जिससे ये भ्रम पैदा हुआ|
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