हर तरफ इस समय कोरोना वायरस का खतरा बना हुआ है लेकिन इससे भी घातक कुछ है जो लोगों की जान ले रहा है. जी दरअसल हम बात कर रहे हैं गरीबी के विषय में. कोटा (राजस्थान) में फंसे विधार्थियों के लिए बहुत से नेता विधायक, सांसद,आई ए एस, आई पी एस सहित राजस्थान, उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश की सरकारे परेशान हैं. आप सभी को बता दें कि सैकड़ों की तादाद में बसों की व्यवस्था कर इन विधार्थियों को अपने घर भेजा जा चुका है, बाकी जो अन्य बचे हुए हैं उनके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, जिन्हे सराहनीय कहा जा सकता है.
वैसे उनमे से कई ऐसे भी विद्यार्थी हैं जो रसूखदार परिवार के हों सकते हैं. इसी के साथ पैसे वाले, विधायक, सांसद तथा प्रसाशनिक अधिकारियों के बच्चें भी होंगे और इस वजह से ही इनके लिए विशेष व्यवस्था होगी. हमारी भी इन विद्यार्थियों के साथ पूरी हमदर्दी और सहानुभूति है. इनमें से बहुत से बच्चे भविष्य के देश के निर्माता हैं लेकिन दुःख केवल एक बात का है. इस समय इनके अलावा भी कई ऐसे बच्चे हैं जो कहीं ना कहीं फंसे हुए हैं, कई ऐसे लोग हैं जो अपने घर से दूर हैं, कई ऐसे गरीब व मजदूर भी हैं जो अनेक शहरों में फंसे हुए हैं आप तो जानते ही हैं कि उनके पास तो न रूकने की जगह है और न ही खानें का इंतजाम और इस समय उनकी मदद के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहा है.
कोई भी बड़ा आदमी, नेता, विधायक, सांसद इन गरीबों को लाठी खाने से नहीं रोक पा रहा है और सवाल यह जरूर उठ रहा है कि ये प्रभावशाली लोग, कोटा के विद्यार्थियों के बराबर प्रयास क्यो नही कर रहे हैं और न उतनी रूची लें रहें हैं. तो क्या केवल गरीब होने के कारण या बड़े लोगों से रिश्तेदारी नहीं होने के कारण इन गरीबों को अपने घर जाने व परिवार के लोगों से मिलने के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल तक नहीं जानें दिया जा रहा है. वाकई में कोरोना ने भारत में आकर यह बताया है कि वह उतना घातक नहीं है जितनी घातक गरीबी है.
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