दुनिया भर में कोरोना वायरस के हाहाकार और समूचे हिंदुस्तान में लॉकडाउन के बीच ओलंपियन अंकिता दास ने आरोप लगाया है कि यूरोप से लौटने के बाद फैली अफवाहों के कारण कुछ लोगों ने उनके और उनके परिवार के साथ बदतमीजी की. यह टेबल-टेनिस खिलाड़ी देशभर में फैली अफरा-तफरी के बीच अफवाहों और झूठी खबरों का निशाना उस वक्त बनीं जब 10 मार्च को जर्मनी से वापस आई और अपने घर पर क्वारंटीन से गुजर रहीं थीं. असम की रहने वालीं 26 वर्षीया अंकिता की माने तो वह पहले फ्लाइट लेकर मुंबई से सिलीगुड़ी पहुंचीं. इसके बाद उनके पड़ोसी द्वारा क्षेत्रीय समाचार पत्रों में गलत खबरें और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट के माध्यम से बहुत अपमानित किया गया. लोगों ने उनकी शिकायत करने के लिए स्थानीय पार्षद को फोन किया.
जानकारी के लिए हम बता दें कि बकौल अंकिता, '5 तारीख को मैं बर्लिन गई थी, तब जर्मनी में हालात सामान्य थे और मैं 10 तारीख को वापस आ गई. मैंने मुंबई से सिलीगुड़ी के लिए उड़ान भरी और जब मैं घर आईं तो अपनी मां और चाचा के पास तक नहीं गईं. तब से एक अलग कमरे में ही रह रही हूं. मैंने पूरी सावधानी बरती क्योंकि मैं भी अपने परिवार के बारे में चिंतित हूं, लेकिन कुछ पड़ोसी मेरे बारे में अफवाह फैला रहे हैं. वे मेरे और मेरे परिवार का अपमानित कर रहे हैं. 2014 लंदन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकीं अंकिता ने इस बाबत फेसबुक पोस्ट भी लिखा है.
रिपोर्ट्स के अनुसार इस बारे में अंकिता ने खेल मंत्रालय से भी शिकायक की. स्थानीय अधिकारियों से संपर्क साधा क्योंकि उनका परिवार किराने के समान जैसी आधारबूत सुविधाओं के लिए भी बाहर नहीं निकल पा रहा था. 'कल मुझे खेल मंत्रालय से फोन आया और उन्होंने और टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया ने मेरी बहुत मदद की. आज डीजीपी (पुलिस) ने फोन किया और मुझे आश्वासन दिया कि अगर ऐसा कुछ फिर से होता है, तो वे इसे संभाल लेंगे' उन्होंने कहा. नियमों के मुताबिक अंकिता को 14 दिन तक सेल्फ क्वारंटीन में रहना था. वह 10 तारीख को लौटीं थीं और इसके बाद उन्होंने खुद को अलग-थलग भी कर लिया था.
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