नई दिल्ली: जीनोम सीक्वेंसिंग की सरकारी प्रयोगशालाओं के एक संघ द इंडियन सार्स सीओवी2 जीनोमिक कंसोर्टियम ने बताया कि देश में कोरोना का वायरस फैलने का मुख्य कारण डेल्टा स्वरूप, संक्रमण के लिहाज से संवेदनशील आबादी तथा वायरस रोकने में टीके का असर कम होना हैं। INSACOG ने 16 अगस्त को जारी अपने ताजा बुलेटिन में बताया कि हालांकि वेक्सिनेशन लोगों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने तथा मौत होने से रोकने में बहुत असरकारक रहा है और वायरस को रोकने के लिए जन स्वास्थ्य उपाय तथा टीकाकरण महत्वपूर्ण हैं।
साथ ही उसने कहा कि देश में वायरस के सामने आए मामलों में डेल्टा स्वरूप के मामले ज्यादा हैं। देश में अभी तक डेल्टा प्लस स्वरूपों के 61 सैंपलों का पता लगाया गया है। उसने बताया, ‘डेल्टा स्वरूप इस वक़्त भारत में सबसे प्रमुख चिंताजनक स्वरूप है। देश में संक्रमण के मामलों के लिए डेल्टा स्वरूप, संवेदनशील आबादी, वायरस रोकने में टीके का असर कम होना तथा संक्रमण के मौके को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में मई में संक्रमण के मामलों के चरम पर पहुंचने के पश्चात्, अब प्रतिदिन आने वाले मामलों में कमी देखी जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में सक्रीय मरीजों की संख्या कम होकर 3,63,605 हो गयी जो 150 दिनों में सबसे कम है तथा संक्रमण के कुल मामलों का 1.12 प्रतिशत है जो मार्च 2020 के पश्चात् से सबसे कम है। देश में अभी तक कोरोना रोधी टीकों की 57 करोड़ से ज्यादा खुराक दी जा चुकी है।
देहरादून IMA से पढ़ा है तालिबान का टॉप कमांडर, प्यार से दोस्त बुलाते थे 'शेरू'