कोविड-19 महामारी के खिलाफ जारी जंग में सीमित संसाधनों वाले उत्तराखंड ने कई अच्छे मुकाम हासिल किए हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण की जांच करने में वह पड़ोसी राज्य हिमाचल से पिछड़ गया है। केवल हिमाचल से ही नहीं तीन हिमालयी राज्यों की तुलना में उसका प्रदर्शन कमजोर दिखाई दे रहा है।कोरोना जांच के आंकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन से यह तथ्य सामने आया कि उत्तराखंड में प्रति लाख लोगों पर 119 टेस्ट हो रहे हैं, जबकि हिमाचल में यह आंकड़ा 264 है। रोचक तथ्य ये है कि हिमाचल राज्य में कोरोना संक्रमण की जांच के लिए चार प्रयोगशालाओं को मान्यता मिली है।
इनमें सीआरआई कसौली, आईजीएमसी शिमला, आरपीएमसी टांडा, एलबीएस मेडिकल कॉलेज नेरचौक मंडी शामिल हैं। उत्तराखंड में एक निजी लैब के साथ पांच प्रयोगशालाओं में टेस्ट हो रहे हैं। इनमें दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और एम्स ऋषिकेश शामिल है। लेकिन सैंपलों की जांच की रफ्तार उतनी तेज नहीं है, जितनी तीन हिमालयी राज्य जम्मू कश्मीर, त्रिपुरा और हिमाचल में है।
कोविड-19 से जुड़े आंकड़ों का लगातार विश्लेषण कर रहे सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं कि राज्य गठन के बाद से ही राज्य के नीति नियंता हिमाचल को एक आदर्श माडल के तौर पर पेश करते हैं। कोरोना टेस्टिंग के मामले में भी पड़ोसी राज्य हमारे सामने एक नजीर है। समान परिस्थितियों के बाद भी उत्तराखंड में टेस्टिंग की रफ्तार धीमी होना चिंता की बात है। सरकार को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा।’ नौटियाल के मुताबिक, अभी तक कोरोना से मुकाबला करने के मामले में राज्य का प्रदर्शन बेहतर रहा है। अब जरूरत टेस्टिंग बढ़ाने की है। इसके लिए केंद्र से कुछ और लैब की मंजूरी ली जा सकती है।
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