बेटे लॉकडाउन में फंसे तो पड़ोसियों ने खुद किया वृद्धा का अंतिम संस्कार

बेटे लॉकडाउन में फंसे तो पड़ोसियों ने खुद किया वृद्धा का अंतिम संस्कार
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उत्तराखंड के रामनगर में लॉकडाउन के चलते न तो एक मां को बेटों के हाथों अग्नि नसीब हुई और ना ही बेटे मां के अंतिम दर्शन कर पाए। इसके साथ ही इस वृद्ध मां का एक बेटा फरीदाबाद में नौकरी करता है और दूसरा बेटा इन दिनों दिल्ली में है। वहीं ऐसे में पड़ोसी ने अपना धर्म निभाते हुए वृद्धा की चिता को मुखाग्नि देकर उसका अंतिम संस्कार किया। वहीं मधुवन कॉलोनी फेस एक पीरूमदारा निवासी 93 वर्षीय दुर्गा देवी का शनिवार सुबह बीमारी के चलते निधन हो गया। उनके दो बेटे हैं। वहीं एक बेटा नरेंद्र सिंह फरीदाबाद में सिंचाई विभाग में क्लर्क हैं तो दूसरा पृथ्वी सिंह रिटायर सैनिक हैं। वह दिव्यांग हैं। इसके साथ ही दुर्गा देवी पृथ्वी सिंह के साथ ही रहतीं थीं लेकिन लॉकडाउन से पहले वह बेटी के पास दिल्ली चले गए थे।

वहीं यहां घर में दुर्गा देवी पोते पूरन सिंह के परिवार के साथ पीरूमदारा में रहती थीं। इसके साथ ही पूरन सिंह आसाम राइफल्स में हैं। वह भी ड्यूटी पर हैं।शनिवार की सुबह दुर्गा देवी के निधन की जानकारी मिलने पर कॉलोनी समिति के अध्यक्ष दिनेश बिष्ट मौके पर पहुंचे। उन्होंने वृद्धा के दोनों बेटों से फोन पर बात की, जिन्होंने लॉकडाउन के चलते मां के अंतिम संस्कार में आने में असमर्थता जताई। घर पर दोनों बेटों और पोते के न होने पर पड़ोसियों ने पीरूमदारा पुलिस चौकी को सूचना दी। वहीं पुलिस की अनुमति मिलने पर कॉलोनी निवासी नंदन सिंह, बलवंत सिंह, गोविंद सिंह रावत, धन सिंह, दलीप सिंह और हीरा सिंह आदि ने दुर्गा देवी का अंतिम संस्कार किया। वृद्धा को मुखाग्नि उनके पड़ोसी नंदन सिंह ने दी।

आपकी जानकारी के लिए बता दें की पृथ्वी सिंह ने कहा कि उन्हें जिंदगी भर यह मलाल रहेगा कि वह मां को मुखाग्नि नहीं दे पाए। वहीं बेटे का कर्तव्य होता है कि वह माता-पिता का अंतिम संस्कार करें, परन्तु परिस्थिति ऐसी बन गई कि वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।पृथ्वी सिंह के अनुसार वे 100 प्रतिशत दिव्यांग हैं और नौ मार्च को उनकी तबीयत खराब हो गई थी। इसके बाद वह 11 मार्च को बेटी धरमा के पास (नरेला) दिल्ली में इलाज कराने गए थे।इसके साथ ही  डिस्चार्ज होकर जब वह 21 मार्च को घर लौटना चाह रहे थे, तभी लॉकडाउन हो गया। वहीं तब से वह दिल्ली में फंसे हैं, कोई उनकी सुनने को तैयार नहीं है। वहीं मां की मौत की खबर सुनकर जब मैंने दिल्ली पुलिस से घर जाने की अनुमति मांगी तो उन्होंने इंकार कर दिया। ऐसे में क्या करें।

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