1 रुपये के नोट की लागत है 1 रु. 14 पैसे, घाटा उठाती है सरकार

1 रुपये के नोट की लागत है 1 रु. 14 पैसे, घाटा उठाती है सरकार
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क्या आप जानते हैं कि सरकार को 1 रुपये का नोट बनाने में 1 रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं। मतलब यह कि सरकार घाटे में ही 1 रुपये के नोट चला रही है । यह सनसनीखेज खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ है । जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने यह ‘RTI’  लगाई थी । हालांकि, इसके जवाब में ‘सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SPMCIL)’ ने कहा कि अभी साल 2014-15 के लिए ऑडिट चल रहा है और 1 रुपये की पूरी असल लागत ऑडिट हो जाने के बाद ही बता पाएंगे । तात्कालिक रूप से SPMCIL ने बताया कि 1 रुपये की छपाई की लागत 1 रुपये 14 पैसे के आस-पास आती है ।

अग्रवाल ने कुछ और छुपे पहलुओं पर प्रकाश डाला. उन्‍होंने मीडिया को बताया कि छपाई की ऊंची लागत की वजह से एक रपये के नोट की छपाई 1994 में बंद कर दी गई थी । इसी तरह 2 रुपये और 5 रुपये के नोट की भी छपाई बंद की गई । इसीलिए अब 1, 2 और 5 रुपये के सिक्के प्रचलन में हैं । सुभाष अग्रवाल ने यह भी बताया कि केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने 16 दिसंबर, 2014 की अधिसूचना के जरिये आखिरकार 6 मार्च, 2015 को 1 रुपये का नोट फिर नए सिरे से जारी करने का निर्णय लिया था। अग्रवाल ने एक और अजीब परंपरा की ओर ध्यान दिलाया कि 1 रुपये के नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं जबकि अन्य करेंसी नोटों पर रिज़र्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं । 

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