संविधान-आरक्षण का झूठा नैरेटिव नहीं तोड़ पाए...! यूपी में क्यों हारे ? भाजपा कोर कमिटी की बैठक में पेश हुई समीक्षा रिपोर्ट
संविधान-आरक्षण का झूठा नैरेटिव नहीं तोड़ पाए...! यूपी में क्यों हारे ? भाजपा कोर कमिटी की बैठक में पेश हुई समीक्षा रिपोर्ट
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लखनऊ: लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार पर चर्चा के लिए शुक्रवार (28 जून) को लखनऊ में भाजपा कोर कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में पार्टी ने हारी हुई सीटों का विश्लेषण किया और विशेष टीम की समीक्षा रिपोर्ट पेश की गई। सूत्रों से पता चला है कि रिपोर्ट में नौकरशाही का जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रति व्यवहार और अधिकारियों द्वारा तोड़फोड़ जैसे मुद्दों को उजागर किया गया है। चुनाव में हार की समीक्षा करने वाली भाजपा की विशेष टीम ने हार के विभिन्न कारणों को रेखांकित करते हुए यह विस्तृत रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंपी। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि, विपक्ष ने जो संविधान बदलने और आरक्षण ख़त्म करने का झूठे नैरेटिव बनाया, भाजपा के नेता उसका काउंटर नहीं कर पाए और इसी कारण दलित, आदिवासी एवं OBC वोटर्स इस कारण छिटक गए, जबकि ना तो संविधान को  और ना ही आरक्षण को कोई हाथ लगाने वाला था। किन्तु ये बातें सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी के ही भाषणों में देखने को मिली कि, आरक्षण ख़त्म नहीं होगा, संविधान पूज्यनीय है, उसे बदला नहीं जा सकता। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि, रिपोर्ट में बताया गया है कि, नेता और विधायक गण जनता के बीच ये भरोसा नहीं दिला पाए, या दिलाने ही नहीं गए कि संविधान और आरक्षण सुरक्षित है, जबकि इसको असली खतरा तो विपक्ष है, जो पहले भी संविधान में कई बदलाव कर चुका है और दलित पिछड़ों का आरक्षण, तुष्टिकरण की राजनीति में दूसरे समुदायों को दे चुका है।     

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं: 

पार्टी की हार आंशिक रूप से विधायकों की अपनी विधानसभाओं में निष्क्रियता के कारण हुई। 
कुछ विधायक अपने क्षेत्रों में लोकसभा उम्मीदवारों के विरोध में थे, जिसके कारण उन सीटों पर तोड़फोड़ और हार हुई। 
अनुसूचित जाति के मतदाताओं ने संविधान और आरक्षण मुद्दों पर पार्टी से दूरी बना ली। 
ओबीसी मतदाताओं में फूट पड़ी, जिससे भाजपा की करारी हार हुई। 
राजपूत समुदाय की नाराज़गी दूर करने की पर्याप्त कोशिशें नहीं हुई। 

इसके अलावा, रिपोर्ट में बूथ स्तर पर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के प्रति पार्टी कार्यकर्ताओं के असंतोष को भी इंगित किया गया, जिसके कारण भाजपा को कम वोट मिले। तमाम कोशिशों के बावजूद ओबीसी वोट बैंक बंटा रहा और संवैधानिक चिंताओं के चलते दलित वोट छिटक गए। रिपोर्ट तीन चरणों में तैयार की गई। लोकसभा चुनाव में राज्य की 80 सीटों में से सपा ने 37 सीटें जीतीं, भाजपा ने 33 सीटें, कांग्रेस ने 6 सीटें, रालोद ने 2 सीटें और आजाद समाज पार्टी तथा अपना दल (एस) ने एक-एक सीट जीती। मायावती की बसपा को कोई सीट नहीं मिली।

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