लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी दुधवा बाघ अभयारण्य में घास चरने वाले जानवरों की त्रिवार्षिक गणना का काम गुरुवार को आरंभ हो गया है. अभयारण्य के क्षेत्रीय निदेशक रमेश कुमार पांडे ने शुक्रवार को कहा है कि वन्यजीवों की गणना का काम तीन चरणों में संपन्न किया जाएगा. उन्होंने कहा है कि पहले चरण की गणना गुरुवार को की गई जिसमें दुधवा वन अधिकारियों की सहायता ली गई. इनमें से 47 दुधवा में, 46 बफर जोन में और 41 अधिकारी कतर्नियाघाट वन प्रभाग में तैनात किए गए, जिन्होंने जंगल के हर कोने में जाकर जानवरों की गणना की.
पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि जानवरों की गणना का दूसरा चरण 16 मई को और तीसरा चरण 23 मई को किया जाएगा. इससे अभयारण्य में वन्यजीवों की तादाद का पता चल सकेगा. जानवरों की इस त्रिवार्षिक गणना का उद्देश्य घास चरने वाले जंगली जानवरों की संख्या का पता करना है. यह जानवर बाघ अभयारण्य में मांसाहारी जानवरों के लिए भोजन का मूल आधार होते हैं.
इसके साथ ही पांडे ने कहा कि ये जानवर पारिस्थितिकीय पिरामिड को व्यवस्थित रखते हैं जिसमें बाघ को सबसे उच्च स्थान दिया गया है. इन जानवरों की संख्या जितनी अधिक होगी, अभयारण्य में बाघों के लिए उतनी ही अधिक खुराक उपलब्ध रहेगी. इसके साथ ही जानवरों की गणना के इस कार्य से दुधवा बाघ अभयारण्य में ऐसे जानवरों के पर्यावास की स्थिति के संबंध में भी अनुमान लगाया जा सकेगा.
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