नई दिल्ली : आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर को लेकर पर्यावरण न्यायालय ने नाराज़गी जाहिर की है। दरअसल यह नाराज़गी श्री श्री रविशंकर की आध्यात्मिक संस्था आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा वल्र्ड कल्चरल प्रोग्राम के आयोजन को लेकर जाहिर की गई। उक्त संस्था द्वारा यह आयोजन नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे किया गया था। इसे लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शिकायत की थी, जिसके बाद ऐन मौके पर एनजीटी ने संस्था पर जुर्माना आरोपित किया था। इसके बाद यह मामला न्यायालय में पहुंच गया था। अब इस मामले में पर्यावरण न्यायालय ने आर्ट आॅफ लिविंग को जवाबदार बताया। न्यायालय ने श्री श्री रविशंकर से कहा कि क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती. आपको लगता है कि आप जो मन में आया बोल सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि श्री श्री रविशंकर का कहना था कि यह सरकार और न्यायालय की गलती है, जो उन्होंने इस कार्यक्रम को लेकर अनुमति दी। मगर न्यायालय ने उसने सवाल किया और उनके प्रति नाराजगी जाहिर की। गौरतलब है कि विशेषज्ञों के दल ने एनजीटी के सामने गवाही दी है और कहा है कि लगभग सौ एकड़ में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम के कारण नदी का ताल नष्ट हो गया।
उल्लेखनीय है कि इस मसले पर जो रिपोर्ट सामने आई उसमें भी कुछ इस तरह की बात कही गई थी और यह कहा जा रहा है कि यमुना क्षेत्र की जलवायु पर कार्यक्रम करने का असर होगा और लगभग 10 साल बाद पूर्व स्थिति प्रयासों से प्राप्त हो सकेगी। मगर इसके लिए करीब 42 करोड़ रूपए खर्च किए जाऐंगे। हालांकि आर्ट आॅफ लिविंग ने अपने उपर लगे आरोपों को नकार दिया है। आध्यात्मिक गुरू श्री श्री ने सोशल मीडिया वेबसाईट फेसबुक पर पोस्ट किया कि यदि किसी भी तरह का जुर्माना लगाया जाना है तो फिर केंद्र, राज्य व एनजीटी पर लगाना चाहिए। इन संस्थाओं ने कार्यक्रम की अनुमती दी थी।