नई दिल्ली: काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में शुक्रवार को एक नया मोड आया, जब अदालत ने फैसला सुनाते हुए एक नई याचिका स्वीकार कर ली है। मंदिर परिसर के अंदर भगवान आदि विशेश्वर और देवी मां श्रृंगार गौरी और अन्य देवताओं के 'चरण' में दर्शन, पूजा, आरती, भोग, और अनुष्ठानों के प्रदर्शन मामले मेंसिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार सिंह की अदालत ने फैसला दिया।
फैसले में कहा गया कि मामला पूरा के अधिकार से जुड़ा हुआ है। ये एक सिविल अधिकार के अंतर्गत आता है। इसलिए सिविल वाद द्वारा इसका निस्तारण होगा। 18 फरवरी 2021 में मंदिर पक्ष ने सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट की बेंच में एक नई याचिका दाखिल की थी। जिसमें दावा किया गया था कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 191 भारतीय संविधान के खिलाफ है। इस याचिका में ये मांग की गई थी कि आदि विशेश्वर 5 कोस का जो अवमुक्त एरिया है, उसे मुक्त कराया जाए।
याचिका में कहा गया है कि औरंगजेब ने जो मंदिर का हिस्सा तोड़ा है, उसे वापस बनाया जाए और श्रृंगार गौराी की जो पूजा रोकी गई थी उसे पुनः बहाल किया जाए। इसके साथ याचिका में ये भी कहा गया है कि वक्फ एक्ट यहां लागू नहीं होता है। बता दें कि इस मामले में भारत संघ, यूपी सरकार, जिलाधिकारी, SSP वाराणसी, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, अंजुमन इंताजामिया मस्जिद कमेटी और ट्रेस्ट ऑफ काशी विश्वनाथ को प्रतिवादी बनाया गया है।
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